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युवाओं में तेजी से बढ़ रहा आर्थराइटिस का खतरा, जानें वजह और बचाव के उपाय

बदलते जीवनशैली और तनावपूर्ण दिनचर्या के चलते आर्थराइटिस अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है। आजकल युवाओं में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। अक्सर युवा जोड़ों में हल्की अकड़न या सूजन को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे समय के साथ दर्द और चलने-फिरने में कठिनाई बढ़ जाती है।

मुंबई स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अमित ग्रोवर के अनुसार, आर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन होती है, जिससे दर्द, सूजन और अकड़न महसूस होती है। 20 से 40 वर्ष की आयु वर्ग में इसके मामलों में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हर महीने अस्पताल आने वाले 10 में से करीब 4 मरीज जोड़ों के दर्द और अकड़न की शिकायत लेकर पहुंचते हैं।

आर्थराइटिस के मुख्य कारण

डॉ. ग्रोवर के अनुसार, बैठे-बैठे की जीवनशैली, तनाव, असंतुलित दिनचर्या और आनुवंशिक कारण आर्थराइटिस के प्रमुख कारण हैं। लंबे समय तक डेस्क पर बैठकर काम करना, व्यायाम की कमी, गलत बैठने की आदतें, मोटापा, चोट लगना और ऑटोइम्यून रोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इसके लक्षणों में जोड़ों में दर्द, सूजन, गर्माहट, लचीलापन कम होना और लगातार थकान शामिल हैं। अगर इन संकेतों को नजरअंदाज किया गया, तो यह जोड़ों में स्थायी नुकसान और विकलांगता का कारण बन सकता है।

कैसे करें बचाव

अगर आर्थराइटिस की पहचान शुरुआती चरण में हो जाए तो सूजन को नियंत्रित कर लंबे समय तक राहत पाई जा सकती है। समय पर की गई फिजियोथेरेपी, दवाइयां और बायोलॉजिक थेरेपी दर्द और सूजन को कम करती हैं। साथ ही नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, वजन नियंत्रण और तनाव में कमी से भी जोड़ों की सेहत बेहतर रहती है।विशेषज्ञों की सलाह है कि जोड़ों में दर्द या अकड़न के शुरुआती लक्षणों को अनदेखा न करें और तुरंत चिकित्सक से जांच कराएं, ताकि समय रहते सही इलाज शुरू किया जा सके।

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