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दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने की तैयारी, सरकार करेगी कृत्रिम बारिश

दिल्ली में प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर को देखते हुए सरकार ने कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी शुरू कर दी है। क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक के जरिए प्रदूषण को कम करने की कोशिश की जाएगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम आवश्यक है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, अक्षरधाम और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 403 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। ऐसे में कृत्रिम बारिश प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने में मददगार साबित हो सकती है।

क्या है क्लाउड सीडिंग तकनीक

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विमान या ड्रोन की मदद से बादलों में कुछ विशेष रसायन छोड़े जाते हैं। ये रसायन बादलों में मौजूद नमी को संघनित करके बारिश की बूंदें बनने में मदद करते हैं। आमतौर पर इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड का उपयोग किया जाता है।

कैसे होती है कृत्रिम बारिश

क्लाउड सीडिंग के दौरान एयरक्राफ्ट से बादलों में रासायनिक कण छोड़े जाते हैं। ये कण बादलों में मौजूद जलकणों को आपस में जोड़ते हैं, जिससे वे भारी होकर बारिश के रूप में धरती पर गिरते हैं।

कब संभव होती है क्लाउड सीडिंग

यह प्रक्रिया तभी संभव होती है जब आसमान में पर्याप्त बादल मौजूद हों। बिना बादलों के क्लाउड सीडिंग नहीं कराई जा सकती। मौसम वैज्ञानिक पहले यह आकलन करते हैं कि किस दिन और किस ऊंचाई पर बादल बनने की संभावना है, उसके बाद ही यह प्रक्रिया शुरू की जाती है।विशेषज्ञों के अनुसार, अगर क्लाउड सीडिंग सही तरीके से की गई तो यह प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित करने में सफल हो सकती है। हालांकि, प्रक्रिया में थोड़ी भी चूक होने पर इसका असर सीमित रह जाता है।

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