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भारतीय विज्ञापन जगत ने खोया अपना क्रिएटिव सितारा, पीयूष पांडे का 70 वर्ष की उम्र में निधन

भारतीय विज्ञापन जगत की आवाज, मुस्कान और रचनात्मकता का चेहरा कहे जाने वाले पीयूष पांडे का 70 वर्ष की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। वे सिर्फ एक विज्ञापन विशेषज्ञ नहीं, बल्कि ऐसे कहानीकार थे जिन्होंने भारतीय विज्ञापन को अपनी भाषा और आत्मा दी।

उनकी बहन ईला ने सोशल मीडिया पर बताया, “बहुत दुख और टूटे दिल के साथ आपको यह बताते हुए मैं बेहद पीड़ा महसूस कर रही हूं कि आज सुबह हमारे प्यारे और महान भाई, पियूष पांडे का निधन हो गया। आगे की जानकारी मेरे भाई प्रसून पांडे द्वारा साझा की जाएगी।”

पीयूष पांडे का सफर

जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे का जीवन हमेशा प्रेरणादायक रहा। वे राजस्थान की रणजी ट्रॉफी टीम के लिए क्रिकेट खेल चुके थे और करियर की शुरुआत में टी-टेस्टर (चाय की गुणवत्ता जांचने वाला) के रूप में भी काम किया। उनका मानना था कि इन अनुभवों ने उन्हें टीमवर्क और बारीक नजर का महत्व सिखाया।

1980 के दशक में उन्होंने ओगिल्वी इंडिया से जुड़कर उसे एशिया की सबसे क्रिएटिव एजेंसियों में बदल दिया। चार दशक लंबे करियर में उन्होंने कई यादगार विज्ञापन बनाए एशियन पेंट्स का “हर खुशी में रंग लाए”, कैडबरी का “कुछ खास है”, फेविकोल का मशहूर “एग” ऐड और हच के पग वाला विज्ञापन आज भी लोगों की यादों में हैं।उनके नेतृत्व में ओगिल्वी ने कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित अभियानों को जन्म दिया। उन्हें पद्मश्री, कई Cannes Lions और 2024 में LIA Legend Award से सम्मानित किया गया।

सहकर्मियों की नजर में एक गुरु

पीयूष पांडे के सहकर्मी उन्हें सादगी, इंसानियत और रचनात्मकता का प्रतीक मानते थे। उनका मंत्र था “सिर्फ मार्केट को नहीं, दिल से बोलो।” यह सोच आज भी भारतीय विज्ञापन की आत्मा को दिशा देती है।उन्होंने विज्ञापन को सिर्फ उत्पाद बेचने का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति और भावनाओं का हिस्सा बनाया। उनके जाने से भारतीय विज्ञापन जगत में गहरा खालीपन आया है, लेकिन उनकी सोच और काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।

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