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दिल्ली में एनकाउंटर: बिहार के मोस्ट वांटेड रंजन पाठक समेत चार अपराधी ढेर, सिग्मा गैंग का खात्मा

दिल्ली के रोहिणी इलाके में पुलिस ने एक बड़े एनकाउंटर को अंजाम दिया, जिसमें बिहार के चार मोस्ट वांटेड अपराधी मारे गए। मारे गए अपराधियों में गैंग के सरगना रंजन पाठक के अलावा अमन ठाकुर, बिमलेश महतो और मनीष पाठक शामिल हैं। इनमें से तीन अपराधी बिहार के सीतामढ़ी जिले के रहने वाले थे, जबकि अमन ठाकुर दिल्ली के करावल नगर का निवासी था।

सूत्रों के अनुसार, ये चारों बिहार में चुनाव से पहले किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की तैयारी में थे, लेकिन उससे पहले दिल्ली और बिहार पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई कर उन्हें मार गिराया।

कौन था रंजन पाठक और क्या है ‘सिग्मा गैंग’

रंजन पाठक हाल के महीनों में बिहार के सीतामढ़ी और आसपास के इलाकों में कई हत्याओं को अंजाम दे चुका था। वह *‘सिग्मा एंड कंपनी’* नामक गैंग चलाता था, जो बिहार-नेपाल सीमा तक सक्रिय था। इस गैंग के सदस्य बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में रंगदारी, सुपारी किलिंग और हथियार सप्लाई जैसे अपराधों में शामिल थे। पुलिस जांच में सामने आया कि गैंग की फंडिंग नेपाल के रास्ते से होती थी और इसकी जड़ें सीमावर्ती जिलों में गहराई तक फैली थीं।

रंजन पाठक ने सीतामढ़ी के बाजपट्टी में आदित्य सिंह और परोहा पंचायत की मुखिया रानी देवी के देवर मदन कुशवाहा की हत्या की थी। इसके अलावा उसने *ब्रह्मर्षि सेना* के जिला अध्यक्ष राम मनोहर शर्मा की गोली मारकर हत्या की जिम्मेदारी भी खुद ली थी। इस वारदात के बाद उसने मीडिया को पर्चा भेजकर अपने गैंग का नाम ‘सिग्मा एंड कंपनी’ बताया था।

मीडियाकर्मियों को भेजा था ‘क्रिमिनल बायोडेटा’

रंजन पाठक ने एक पर्चे के जरिए पुलिस और प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उसने लिखा था कि राजनीतिक दबाव और जातिगत राजनीति के कारण पुलिस ने उसे झूठे मामलों में फंसा दिया। एक चर्चित हत्या के बाद उसने मीडियाकर्मियों को अपना ‘क्रिमिनल बायोडेटा’ भेजा था, ताकि वह अपने डर और प्रभाव दोनों को स्थापित कर सके।

कई जिलों में हत्या और मुठभेड़

रंजन पाठक ने शिवहर जिले में गुड्डू झा की दिनदहाड़े हत्या की थी। इस मामले में पुलिस और STF के साथ मुठभेड़ में उसके कई साथी घायल हुए थे, लेकिन रंजन पाठक फरार हो गया था। उसके खिलाफ हत्या, लूट और रंगदारी के कई मामले दर्ज थे।पुलिस के अनुसार, रंजन पाठक और उसकी टीम पर कई महीनों से नजर रखी जा रही थी। दिल्ली में उनका ठिकाना ट्रैक किया गया और चुनावी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन की योजना बनाई गई। इस एनकाउंटर को दिल्ली और बिहार पुलिस की संयुक्त बड़ी सफलता माना जा रहा है, जिससे चुनाव से पहले किसी बड़ी आपराधिक साजिश को टाल दिया गया।

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