मेडागास्कर में Gen-Z आंदोलन से तख्तापलट, कर्नल माइकल रैंड्रियनिरिना होंगे नए राष्ट्रपति

मेडागास्कर में युवाओं के उग्र Gen-Z आंदोलन ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। लगातार तीन सप्ताह से चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच सेना ने सत्ता संभाल ली है। तख्तापलट का नेतृत्व करने वाले कर्नल माइकल रैंड्रियनिरिना शुक्रवार को उच्च संवैधानिक न्यायालय में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।कर्नल रैंड्रियनिरिना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि देश में जारी अस्थिरता और हिंसक प्रदर्शनों के बीच सशस्त्र बलों ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियंत्रण अपने हाथ में लिया है।
देश से भागे राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना
इस राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति एंड्री राजोइलिना अपनी सुरक्षा को खतरा बताते हुए देश छोड़ चुके हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे कहां हैं। रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें फ्रांस के एक सैन्य विमान से देश से बाहर ले जाया गया। इस घटनाक्रम के बाद अफ्रीकी संघ ने मेडागास्कर की सदस्यता निलंबित कर दी है और तख्तापलट को “पूरी तरह अस्वीकार्य” बताया है।
युवाओं के नेतृत्व में भड़का आंदोलन
मेडागास्कर में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत 25 सितंबर को पानी और बिजली की लगातार कटौती के विरोध से हुई थी। धीरे-धीरे यह आंदोलन सरकारी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में बदल गया।
प्रदर्शन का नेतृत्व असंतुष्ट युवाओं ने किया, जो “Gen-Z मेडागास्कर” नाम से एकजुट हुए। युवाओं का आरोप था कि सरकार ने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने और अवसरों के सृजन में पूरी तरह विफलता दिखाई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस तख्तापलट की निंदा की है। उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, “महासचिव सरकार के असंवैधानिक परिवर्तन की कड़ी आलोचना करते हैं और संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की अपील करते हैं।वहीं, फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति राजोइलिना के देश से भागने को लेकर किसी भी भूमिका से इनकार किया है।
उपनिवेशी अतीत से जुड़ा विवाद
मेडागास्कर कभी फ्रांस का उपनिवेश रहा है और राष्ट्रपति राजोइलिना की कथित फ्रांसीसी नागरिकता को लेकर भी जनता में नाराजगी बढ़ी थी। कई प्रदर्शनकारियों ने इसे देश की संप्रभुता पर सवाल बताया।अब कर्नल रैंड्रियनिरिना के नेतृत्व में नई सत्ता व्यवस्था की शुरुआत हो रही है, लेकिन देश की राजनीतिक स्थिरता और लोकतंत्र की दिशा पर सवाल बरकरार हैं।