हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या से सियासत में हलचल, परिवार और दलित संगठनों ने की कड़ी कार्रवाई की मांग

हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने राज्य की सियासत और प्रशासनिक व्यवस्था में भारी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने मामले में उचित जांच न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है, जबकि दलित संगठनों ने चंडीगढ़ में रविवार को महापंचायत बुलाकर कार्रवाई की मांग की है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘बहुत दुखद हादसा’ बताया और कहा कि सरकार इसकी गहन जांच कराएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों को कोई भी प्रभावशाली क्यों न हो, सजा दिलाई जाएगी।
चंडीगढ़ पुलिस ने देर रात पूरन कुमार के परिवार की मांग को मानते हुए एफआईआर में अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST Act) एक्ट की धारा 3(2)(वी) जोड़ दी है। इस धारा के तहत किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ जाति आधारित गंभीर चोट या मृत्यु होने पर दोषी को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। इससे पहले एफआईआर में अधिकतम सजा केवल पांच साल तक की थी।
आईपीएस पूरन कुमार का पोस्टमार्टम अब तक नहीं हुआ है, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस नेता राव नरेंद्र सिंह ने कहा कि मजबूरन आत्महत्या ने पूरे देश में चिंता पैदा कर दी है और हरियाणा सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि अगले तीन दिनों में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए जाएंगे ताकि जनता को यह संदेश मिले कि पार्टी परिवार के साथ खड़ी है।पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को पूरन कुमार के परिवार से मुलाकात की और परिवार के दुख को शब्दों में बयान करना मुश्किल बताया।
सुसाइड नोट में लगाए गए आरोप
पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में कहा कि 2020 से उन्हें भेदभाव, अपमान और मानसिक उत्पीड़न झेलना पड़ा। तत्कालीन DGP मनोज यादव, ACS गृह राजीव अरोड़ा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उन्होंने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि सरकारी वाहन और छुट्टियों से संबंधित अधिकार उनके खिलाफ प्रतिबंधित किए गए और शिकायतों की जांच नहीं की गई।
कौन थे वाई. पूरन कुमार
पूरन कुमार आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे और अनुसूचित जाति समुदाय से ताल्लुक रखते थे। वे हरियाणा कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी थे और पहले भी DGP पर आरोप लगा चुके थे। हाल ही में उनका ट्रांसफर हुआ था।
कितने अधिकारी सुसाइड नोट में शामिल
पूरन कुमार ने अपने सुसाइड नोट में 15 सेवारत और सेवानिवृत्त आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का नाम लिया, जिनमें डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजरनिया भी शामिल थे। इसके बाद हरियाणा सरकार ने एसपी नरेंद्र बिजरनिया को पद से हटा कर सुरेंद्र सिंह भौरिया को जिम्मेदारी सौंपी।पूरन कुमार के परिवार और दलित संगठनों ने अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। यह मामला न केवल हरियाणा की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि राज्य में दलित अधिकारियों के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोपों को भी उजागर करता है।