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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में दर्दनाक बस हादसा, 18 की मौत, प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले के झंडूता इलाके में मंगलवार को एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें 18 यात्रियों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब यात्रियों से भरी एक निजी बस भूस्खलन की चपेट में आ गई। पहाड़ी से अचानक गिरे मलबे ने बस को पूरी तरह दबा दिया। हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य में देरी ने प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया।

देरी से पहुंचा बचाव दल

स्थानीय ग्रामीणों ने हादसे के तुरंत बाद प्रशासन को सूचना दी, लेकिन राहत दल देर से मौके पर पहुंचा। बताया जा रहा है कि जेसीबी मशीन मंगवाने में भी काफी देर की गई। मलबा हटाने में देरी के कारण कई यात्रियों की दम घुटने से मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बचाव कार्य समय पर शुरू हो जाता, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।जानकारी के अनुसार, यह निजी बस संतोषी मरोतन से घुमारवीं जा रही थी। बरठीं के पास भल्लू पुल के समीप अचानक पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा गिरा और बस उसकी चपेट में आ गई। हादसे के समय बस में करीब 30 लोग सवार थे।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने जताया शोक

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि बिलासपुर में भूस्खलन के कारण हुई दुर्घटना अत्यंत पीड़ादायक है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर शोक जताते हुए कहा कि इस दुखद समय में उनकी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

मुख्यमंत्री सुक्खू और जयराम ठाकुर ने भी जताया दुख

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बिलासपुर जिले में हुए इस भीषण हादसे की खबर ने उन्हें झकझोर दिया है। उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति और शोक संतप्त परिवारों को संबल देने की प्रार्थना की।पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद घटना है, जिसने पूरे प्रदेश को व्यथित कर दिया है। ठाकुर ने बताया कि वह स्वयं मौके पर जाएंगे और प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे।यह हादसा न केवल प्राकृतिक आपदा की मार को दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक तैयारी और त्वरित कार्रवाई की कमी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

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