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अब देशभर में शुरू होगी मतदाता सूची की गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया, बिहार बना मिसाल

पटना: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि बिहार की तर्ज पर देश के सभी राज्यों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस दिशा में काम तेजी से चल रहा है और अंतिम निर्णय जल्द ही चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा।उन्होंने बताया कि 24 जून को बिहार में SIR प्रक्रिया की शुरुआत के समय ही चुनाव आयोग ने पूरे देश में मतदाता सूची संशोधन की योजना की घोषणा की थी। फिलहाल आयोग इस पर कार्य कर रहा है और तीनों चुनाव आयुक्त विभिन्न राज्यों में इस प्रक्रिया की तिथियों पर फैसला करने के लिए बैठक करेंगे।

बिहार से शुरू हुआ चुनाव सुधार का नया अध्याय

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि लोकतंत्र का जन्म बिहार के वैशाली से हुआ था और अब बिहार से ही चुनाव सुधार की नई दिशा देश को मिलेगी। उन्होंने बताया कि विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत अपात्र मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जबकि योग्य मतदाता नामांकन की अंतिम तिथि से दस दिन पहले तक फॉर्म-6 या फॉर्म-7 भरकर अपना नाम दर्ज करा सकते हैं।ज्ञानेश कुमार ने बिहार में पूरी हुई SIR प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इस अभियान से राज्य में 22 वर्षों बाद मतदाता सूचियों का वास्तविक “शुद्धीकरण” हुआ है।

22 साल बाद हुआ मतदाता सूची का संशोधन

उन्होंने बताया कि बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक में एक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) तैनात था, जिनकी सहायता के लिए 90,207 बीएलओ (BLO) ने काम किया। उनके प्रयासों से 22 वर्षों के बाद मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध किया जा सका। इससे पहले राज्य में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था।

नई पहल से बढ़ेगी पारदर्शिता

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह नई पहल केवल मतदाता सूची सुधार तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसके कुछ उपाय आगामी चुनावों में मतदान के दौरान भी लागू किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा।ज्ञानेश कुमार ने भरोसा जताया कि बिहार मॉडल पर आधारित यह पहल देशभर में पारदर्शी और त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगी।

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