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मध्य प्रदेश में नवरात्रि से पहले गरबा को लेकर विवाद, गैर-हिंदुओं की एंट्री पर सियासत गरमाई

नवरात्रि की शुरुआत से पहले मध्य प्रदेश में गरबा उत्सव को लेकर धार्मिक और राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। कई हिंदू संगठन, भाजपा विधायक और सांसद गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं। संगठनों का कहना है कि आयोजकों को पंडालों में ऐसे नियम लागू करने चाहिए, जिससे गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकी जा सके।

हिंदू संगठनों की मांग

भोपाल हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि हर गरबा पंडाल के बाहर भगवान विष्णु के वराह अवतार की तस्वीर लगाई जानी चाहिए और प्रवेश करने वालों को उसके चरण स्पर्श कर तिलक करना होगा। उनका दावा है कि ऐसा करने से गैर-हिंदू खुद ही प्रवेश से बचेंगे।

नेताओं के बयान

भाजपा सांसद आलोक शर्मा ने भी गैर-हिंदुओं की एंट्री का विरोध करते हुए कहा,नवरात्रि में अब केवल वे ही लोग प्रवेश पाएंगे जो तिलक लगाकर, कलावा बांधकर और केसरिया गमछा पहनकर आएंगे। लव जिहाद की कोशिश करने वालों के मकान टूटे हैं, जेल की सलाखों में भी सड़ रहे हैं।भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा,गरबे में गैर-हिंदुओं का प्रवेश नहीं होना चाहिए। अगर आना है तो अपने परिवार के साथ आकर प्रसाद लो, आशीर्वाद लो और हिंदू धर्म स्वीकार करो।राज्य सरकार के मंत्री *विश्वास कैलाश सारंग* ने भी संगठनों के पक्ष का समर्थन किया। उन्होंने कहा,गरबा सनातन परंपरा का पावन पर्व है, इसमें केवल वही शामिल हो सकते हैं जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं। गैर-हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

आयोजन समितियों के नियम

भोपाल की भोजपाल समिति ने गरबा पंडालों में प्रवेश के लिए नए नियम बनाए हैं। समिति के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि केवल वही लोग प्रवेश पाएंगे जो तिलक लगाकर और कलावा बांधकर आएंगे। इसके अलावा पहचान पत्र और आधार कार्ड की जांच भी की जाएगी।नवरात्रि और गरबा उत्सव भक्ति और संस्कृति से जुड़े पर्व हैं, लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में इसका रंग धार्मिक विवाद और राजनीतिक बहस में बदलता दिख रहा है। सवाल यह है कि क्या गरबा अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान के साथ मनाया जाएगा या फिर इसे “गरबा जिहाद” की नई राजनीति प्रभावित करेगी।

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