Main Slideराजनीति

बिहार चुनावी संग्राम: बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप से गरमाया माहौल

नई दिल्ली। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच चुकी है। सत्ता की दौड़ में शामिल सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों और अभियानों के जरिए जनता को साधने की कोशिशों में जुटे हैं। कांग्रेस से राहुल गांधी, आरजेडी से तेजस्वी यादव, एनडीए की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी नेताओं ने राज्य की सियासी जमीन पर अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है।

इसी बीच इंडिया गठबंधन ने राज्य में “वोटर अधिकार यात्रा” की शुरुआत की। इस यात्रा के दौरान विपक्ष ने चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कई नारे लगाए, जिनमें “वोट चोर गद्दी छोड़” जैसे तीखे जुमले शामिल रहे। हालांकि, मामला तब गरमा गया जब इसी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया। एनडीए ने इस टिप्पणी को बेहद गंभीर बताते हुए इसे जनता का अपमान करार दिया और इसे चुनावी मुद्दा बना लिया।

बीजेपी ने इस प्रकरण को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी और विरोध जताने के लिए बिहार बंद का आह्वान किया। पार्टी नेताओं का कहना था कि राजनीतिक असहमति के बीच परिवार और खासकर माताओं को लेकर की गई अपमानजनक टिप्पणी लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है। बिहार बंद के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए और विपक्ष से सार्वजनिक माफी की मांग की।

वहीं, कांग्रेस ने भी इस बयानबाज़ी की सियासत में पलटवार करने का मौका नहीं छोड़ा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा और सहयोगी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी नेता सोनिया गांधी को “जर्सी गाय” कहकर अपमानित किया गया। कांग्रेस का कहना है कि महिलाओं को लेकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग समाज में गलत संदेश देता है। पार्टी ने इसे भी बड़ा मुद्दा बनाते हुए जवाबी मोर्चा खोला।

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में चुनावी माहौल हर बार की तरह इस बार भी जातीय समीकरणों और विकास के वादों के इर्द-गिर्द घूमेगा, लेकिन नेताओं की तीखी बयानबाज़ी ने इस बार चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। जनता की नज़र अब इस पर है कि कौन-सा दल अपने मुद्दों और नारों के जरिए मतदाताओं को लुभाने में सफल होता है।कुल मिलाकर, बिहार की चुनावी जंग अब सिर्फ विकास और वादों तक सीमित नहीं रही, बल्कि व्यक्तिगत टिप्पणियों और कटाक्षों ने भी माहौल को और गरमा दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि जनता इस बयानबाज़ी को कितना महत्व देती है और इसका असर वोटिंग पैटर्न पर किस हद तक पड़ता है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close