फतेहपुर में 200 साल पुराने मकबरे को लेकर बवाल, हिंदू संगठनों ने पूजा की मांग पर जताया जोर

उत्तर प्रदेश के *फतेहपुर जिले* में 200 साल पुराने नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर विवाद तेज हो गया है। जिले के आबूनगर रेडइया स्थित इस मकबरे के पास सोमवार को बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता जुट गए। उनका दावा है कि यह मकबरा नहीं, बल्कि एक मंदिर है, और यहां पूजा-अर्चना की अनुमति दी जानी चाहिए। स्थिति को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है।
बैरिकेडिंग तोड़ने के बाद बढ़ा तनाव
बीजेपी जिला अध्यक्ष समेत बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने इस स्थल को ‘ठाकुर जी का मंदिर’ बताते हुए 11 अगस्त को पूजा करने का ऐलान किया था। प्रशासन ने पहले से ही मकबरे के चारों ओर बल्लियों और बैरिकेडिंग लगाकर लोगों की आवाजाही रोक दी थी। लेकिन, प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी, जिसके बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया।पूरे शहर में एहतियातन पुलिस और पीएसी की तैनाती की गई है। गली-गली और प्रमुख चौराहों पर सुरक्षा बलों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
विवाद की पृष्ठभूमि
रेडइया मोहल्ले में स्थित यह मकबरा करीब दो शताब्दी पुराना माना जाता है। विवाद का केंद्र यह दावा है कि यहां पहले शिव और श्रीकृष्ण का मंदिर था, जिसे बाद में तोड़कर मकबरा बना दिया गया। हिंदू संगठनों का कहना है कि परिसर में मिले *कमल के फूल और त्रिशूल के निशान* मंदिर होने का सबूत हैं।
बीजेपी जिलाध्यक्ष के मंदिर संबंधी बयान के बाद ही यह विवाद भड़का था। 11 अगस्त को यहां पूजा करने की घोषणा के बाद से ही माहौल गर्म था। सोमवार सुबह से ही हिंदू संगठनों के लोग एकत्रित होने लगे, जिसके चलते तनाव और बढ़ गया।वहीं, मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि “सरकार मस्जिदों के अंदर मंदिर ढूंढ रही है” और यह धार्मिक सौहार्द के खिलाफ है।