लेडी टार्जन’ जमुना टुडू को राष्ट्रपति भवन का विशेष आमंत्रण, पर्यावरण संरक्षण में अद्वितीय योगदान के लिए सम्मान

पर्यावरण संरक्षण की मिसाल और ‘लेडी टार्जन’ के नाम से मशहूर पद्मश्री जमुना टुडू एक बार फिर सुर्खियों में हैं। स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्रि भोज के लिए विशेष आमंत्रण भेजा है। यह आयोजन 15 अगस्त की शाम 6 बजे होगा, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोग शामिल होंगे।
इस खास आमंत्रण पत्र को नई दिल्ली से झारखंड के चाकुलिया तक भारतीय डाक विभाग ने विशेष व्यवस्था के तहत पहुंचाया। पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया कि जमुना टुडू को इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में उपस्थित रहना है।
जमुना टुडू की प्रेरणादायक कहानी
ओडिशा के मयूरभंज जिले में 1980 में किसान परिवार में जन्मी जमुना ने बचपन से ही जंगलों के बीच जीवन बिताया। शादी के बाद जब वह झारखंड आईं, तो यहां पेड़ों की अवैध कटाई देख उनका मन व्यथित हो उठा। उन्होंने संकल्प लिया कि किसी भी कीमत पर जंगलों को नष्ट नहीं होने देंगी।
अपने प्रयासों से जमुना ने 50 हेक्टेयर वन भूमि को तबाह होने से बचाया और 10,000 से अधिक महिलाओं को पेड़ों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए संगठित किया। उन्होंने ‘वन सुरक्षा समिति’ की स्थापना की, जिसने न सिर्फ लकड़ी माफिया, बल्कि नक्सलियों के खिलाफ भी मोर्चा संभाला। पर्यावरण संरक्षण के इस जज़्बे के लिए 2017 में राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
‘लेडी टार्जन’ नाम की वजह
शुरुआत में जमुना दिहाड़ी मजदूरी करती थीं और उनके पति राजमिस्त्री का काम करते थे। लेकिन जीविका के साथ-साथ उन्होंने पर्यावरण की रक्षा को अपना जीवन-ध्येय बना लिया। वे जंगलों में जाकर पेड़ काटने वालों को रोकतीं, जनजागरूकता फैलातीं और वन माफियाओं का डटकर विरोध करतीं। कई बार उन पर जानलेवा हमले हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पेड़ों की रक्षा के इसी जुनून के कारण लोग उन्हें ‘लेडी टार्जन’ कहने लगे।
जमुना टुडू की प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति भवन का निमंत्रण पाकर जमुना भावुक हो गईं। उन्होंने कहा — “यह आमंत्रण सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि हर उस महिला और ग्रामीण का है, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। मैं भारतीय डाक विभाग और राष्ट्रपति महोदय की आभारी हूं, जिन्होंने मेरे प्रयासों को इतना बड़ा सम्मान दिया जमुना टुडू की कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा है—एक ऐसी महिला की, जिसने अपने साहस, समर्पण और निडरता से जंगलों को बचाने की मुहिम को जन-जन का आंदोलन बना दिया।