बैजबॉल’ बनाम हकीकत: भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नहीं चला इंग्लैंड का आक्रामक फॉर्मूला

नई दिल्ली। इंग्लैंड की टेस्ट क्रिकेट में बैजबॉल युग’ की शुरुआत 2022 में पाकिस्तान दौरे से हुई, जब ब्रेंडन मैकुलम ने कोच और बेन स्टोक्स ने कप्तान के रूप में कमान संभाली। इस नई आक्रामक शैली ने दुनिया भर में टेस्ट क्रिकेट खेलने के तरीके को बदलने की कोशिश की, और इंग्लैंड ने छोटे और मध्य स्तर की टीमों के खिलाफ कई मौकों पर सफलता भी पाई।लेकिन बड़ी टीमों—खासतौर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया—के खिलाफ इंग्लैंड की यह रणनीति फेल होती दिखी।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रुक गया ‘बैजबॉल’ का तूफान
जहां इंग्लैंड ने पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज जैसी टीमों के खिलाफ ‘बैजबॉल’ शैली में आक्रामक और निडर क्रिकेट खेला, वहीं भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वे डिफेंसिव मोड में नजर आए।हालिया भारत दौरे में भी यही देखने को मिला। इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में 371 रनों के बड़े लक्ष्य का पीछा कर धमाकेदार जीत हासिल की, लेकिन इसके बाद भारत ने *दूसरे टेस्ट में 336 रनों की विशाल जीत* के साथ सीरीज में वापसी की और स्टोक्स की टीम *पूरी तरह बैकफुट* पर आ गई।
आंकड़े बताते हैं असल कहानी
अगर आंकड़ों की बात करें, तो बैजबॉल युग में इंग्लैंड ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कुल *16 टेस्ट मैच* खेले हैं:
जीत:6 मैच
हार: 8 मैच
ड्रॉ: 2 मैच
इस दौरान इंग्लैंड तीन टेस्ट सीरीज (भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ) खेल चुका है लेकिन एक भी सीरीज जीत नहीं सका।
छोटी टीमों पर हावी रहा है इंग्लैंड
अन्य टीमों के खिलाफ इंग्लैंड का प्रदर्शन एकदम विपरीत रहा है। ‘बैजबॉल’ ऐरा में इंग्लैंड ने भारत और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर बाकी टीमों के खिलाफ 25 टेस्ट मैच खेले:
जीत: 19 मैच
हार: 6 मैच
ड्रॉ: 0
इस अवधि में इंग्लैंड ने 10 में से 8 टेस्ट सीरीज अपने नाम की हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि इंग्लैंड की आक्रामक रणनीति छोटी टीमों के खिलाफ तो कारगर रही, लेकिन भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसी ताकतवर टीमों के सामने फीकी पड़ गई।
बैजबॉल को अभी असली चुनौती बाकी है
स्टोक्स और मैकुलम की जोड़ी ने टेस्ट क्रिकेट को देखने का नजरिया जरूर बदला, लेकिन अब तक उनके प्रयोग की सच्ची परीक्षा भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत से ही पूरी होगी। बैजबॉल का असली इम्तिहान तभी सफल माना जाएगा, जब इंग्लैंड बड़ी टीमों के खिलाफ भी सीरीज जीतने में सफल रहेगा।