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जाति-धर्म आधारित आदेश पर CM योगी की सख्ती, अधिकारी निलंबित – “पूर्वाग्रह बर्दाश्त नहीं”

लखनऊ/सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायती राज विभाग* के एक विवादास्पद आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई है, जिसमें ग्रामसभा की जमीन से अवैध कब्जे हटाने की कार्रवाई को जाति विशेष (यादव) और धर्म विशेष (मुस्लिम) से जोड़कर निर्देशित किया गया था। मुख्यमंत्री ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य” बताते हुए इसे *तत्काल प्रभाव से रद्द करने के निर्देश दिए हैं।

आदेश देने वाले अधिकारी पर कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने इस गंभीर प्रशासनिक चूक के लिए संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, “इस प्रकार की भाषा और सोच शासन की नीति के विपरीत है और समाज में विभाजन पैदा करने वाली है। इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई निष्पक्ष, तथ्यों और कानून के आधार पर की जानी चाहिए, *जाति या धर्म के आधार पर नहीं। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की गलती दोहराई नहीं जानी चाहिए।

सीएम योगी ने दोहराया कि राज्य सरकार समरसता, सामाजिक न्याय और समान अधिकारों* के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार की नीतियां किसी व्यक्ति, समुदाय या वर्ग के खिलाफ पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं हो सकतीं। हमारी प्राथमिकता संविधान और न्याय की मूल भावना के प्रति है।

विपक्ष पर तीखा हमला, “सनातन धर्म से चिढ़ है कांग्रेस और सपा को”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 अगस्त को *सहारनपुर* में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्षी दलों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के बढ़ते गौरव* से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल परेशान हैं।

सीएम ने आरोप लगाया, “पहले की सरकारें आतंकियों को संरक्षण देती थीं और सनातन संस्कृति को दबाने का प्रयास करती थीं। अब जब भारत अपनी आध्यात्मिक विरासत को सम्मान दे रहा है और विकास की ऊँचाइयों को छू रहा है, तो उन्हें तकलीफ हो रही है।उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार ने क्षेत्रीय उपेक्षा को खत्म करते हुए विकास और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का नया अध्याय शुरू किया है।

जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाति-धर्म के आधार पर भेदभावपूर्ण आदेश को तुरंत निरस्त कर कड़ा संदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष पर सनातन संस्कृति को लेकर हमलावर रुख भी दिखाया है। राज्य की राजनीति में यह घटनाक्रम प्रशासनिक और वैचारिक दोनों स्तरों पर अहम माना जा रहा है।

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