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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की मांग – नए संसद भवन में जानी चाहिए थी जीवित गाय, गौ सम्मान के लिए प्रोटोकॉल की वकालत

नई दिल्ली। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर उसमें एक जीवित गाय को भी ले जाया जाना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब संसद में गाय की मूर्ति को प्रवेश मिल सकता है, तो एक जीवित गाय को क्यों नहीं?

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में प्रवेश करते समय जो सेंगोल पकड़ा था, उस पर गाय की आकृति बनी हुई है। ऐसे में एक असली गाय को आशीर्वाद देने के लिए वहां लाया जाना चाहिए था। अगर ऐसा अब तक नहीं हुआ है, तो हम देशभर से गायों को इकट्ठा करके संसद भवन में लाने को तैयार हैं।

गौ सम्मान के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की मांग

शंकराचार्य ने महाराष्ट्र सरकार से आग्रह किया कि वह गौ सम्मान को लेकर एक स्पष्ट प्रोटोकॉल तैयार करे। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को यह तय करना चाहिए कि गाय का सम्मान कैसे किया जाए और उस प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालों के लिए दंड का प्रावधान भी होना चाहिए।

उन्होंने यह भी मांग की कि देश के हर विधानसभा क्षेत्र में एक “रामधाम” की स्थापना की जाए, जिसमें कम से कम 100 गायों के रख-रखाव की व्यवस्था हो। शंकराचार्य ने बताया कि धर्म संसद ने होशंगाबाद से सांसद दर्शन सिंह चौधरी के उस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग की गई है।

भाषा विवाद और मालेगांव विस्फोट पर भी दी राय

भाषा विवाद पर बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा कि हिंदी को प्रशासनिक भाषा के रूप में सबसे पहले मान्यता मिली थी। उन्होंने बताया, “1960 में मराठी भाषी राज्य का गठन हुआ और उसके बाद मराठी को आधिकारिक मान्यता दी गई। हिंदी और मराठी दोनों ही भाषाएं कई स्थानीय बोलियों से विकसित हुई हैं।मालेगांव विस्फोट मामले में उन्होंने निष्पक्ष न्याय की मांग करते हुए कहा कि असली दोषियों को कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने किसी भी तरह की हिंसा को आपराधिक कृत्य करार दिया।

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