ठाकरे बंधुओं की मुलाकात से सियासत में हलचल, 6.5 साल बाद राज पहुंचे मातोश्री

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई हलचल उस वक्त देखने को मिली जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर उनके चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे मातोश्री पहुंचे। यह मुलाकात करीब आधे घंटे चली और दोनों नेताओं के बीच वर्षों से जमी बर्फ कुछ पिघलती नजर आई। राज ठाकरे के साथ मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर और नितिन सरदेसाई भी मौजूद थे।
राज ठाकरे ने अपने फेसबुक पोस्ट में उद्धव को “मेरे बड़े भाई” कहकर संबोधित किया और जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। बचपन से ही राज अपने भाई को ‘दादू’ कहकर बुलाते रहे हैं। मातोश्री से उनका रिश्ता बेहद गहरा रहा है, जहां उन्होंने अपने चाचा बाल ठाकरे के साथ शिवसेना की राजनीति में शुरुआती वर्षों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। आज भी वे मातोश्री को मंदिर जैसा मानते हैं, जहां से बाल ठाकरे और मां साहेब की यादें जुड़ी हैं।
यह मुलाकात खास इसलिए भी रही क्योंकि राज ठाकरे लगभग *साढ़े छह साल बाद* मातोश्री पहुंचे थे। पिछली बार वे 5 जनवरी 2019 को अपने बेटे की शादी का निमंत्रण देने आए थे। उससे पहले, जब उद्धव ठाकरे की सर्जरी हुई थी, तब राज ठाकरे अस्पताल जाकर मिले थे और उन्हें खुद गाड़ी चलाकर मातोश्री लेकर आए थे।
कब और क्यों टूटे थे रिश्ते?
राज और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद शिवसेना में उत्तराधिकार की लड़ाई से उपजे थे। राज को बाल ठाकरे का राजनीतिक वारिस माना जाता था, क्योंकि वे भाषण शैली और जनसंपर्क में अपने चाचा की झलक दिखाते थे। लेकिन 2003 में बाल ठाकरे ने उद्धव को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। इससे राज को गहरा धक्का लगा और उन्होंने महसूस किया कि उन्हें संगठन से बाहर किया जा रहा है।
राज ठाकरे ने कहा था, “मैंने सम्मान मांगा था, लेकिन अपमान मिला।” इसी नाराजगी में उन्होंने 2005 में शिवसेना छोड़ दी और 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की। इसके बाद दोनों भाइयों के रास्ते अलग हो गए।अब एक बार फिर ठाकरे बंधुओं की नजदीकी से अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नया समीकरण बन रहा है? हालांकि, अभी इस मुलाकात को व्यक्तिगत शिष्टाचार बताया जा रहा है, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ से इनकार नहीं किया जा सकता।