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वित्त आयोग के सदस्यों से मिले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड के विकास पर हुई विस्तार से चर्चा

रांची। 16वें वित्त आयोग की टीम झारखंड के चार दिवसीय दौरे पर है। दौरे के पहले दिन आयोग के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की और राज्य की विकास संबंधी जरूरतों पर चर्चा की।

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि विकसित भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब राज्य भी समग्र रूप से तरक्की करें, और इसके लिए गांवों का विकास प्राथमिक शर्त है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य की सामाजिक और आर्थिक तरक्की गांवों की समृद्धि से ही संभव है।

राज्य की जरूरतों के अनुसार वित्तीय स्वतंत्रता की मांग

मुख्यमंत्री ने आयोग के सामने यह मांग रखी कि राज्यों को अपनी स्थानीय परिस्थितियों और जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों का उपयोग करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर राज्य की भौगोलिक और सामाजिक संरचना अलग होती है, ऐसे में ‘एक ही नीति सब पर लागू’ करना व्यावहारिक नहीं है।

खनन से विकास और पर्यावरण पर प्रभाव

हेमंत सोरेन ने झारखंड की खनिज संपन्नता का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य देश को संसाधन उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इसका खामियाजा भी राज्य को पर्यावरण प्रदूषण, विस्थापन और भूमि ह्रास के रूप में भुगतना पड़ता है। उन्होंने खनन कंपनियों की गैर-जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली पर चिंता जताई और कहा कि खनन समाप्त होने के बाद भी ज़मीन के पुनर्निर्माण और पुनर्वास का कार्य संतोषजनक रूप से नहीं हो रहा है।

कृषि को बताया प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियां केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है और कृषि क्षेत्र में झारखंड के पास व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उनकी सरकार का लक्ष्य सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करना है।

 

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