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जगद्गुरु रामभद्राचार्य और मशहूर कवि-गीतकार गुलजार को 58वां ज्ञानपीठ, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और मशहूर कवि-गीतकार गुलजार को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। गुलजार के नाम से मशहूर सम्पूर्ण सिंह कालरा को हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है और उन्हें इस दौर के बेहतरीन उर्दू शायरों में से एक माना जाता है। कवि-गीतकार गुलजार ‘स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं’ के कारण समारोह में शामिल नहीं हो सके।

चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक 75 वर्षीय रामभद्राचार्य प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षाविद और चार महाकाव्यों समेत 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों के लेखक हैं। संस्कृत विद्वान को पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति पत्र, नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की एक कांस्य प्रतिकृति प्रदान की गई। पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने संस्कृत साहित्य और समाज के लिए रामभद्राचार्य के ‘बहुआयामी योगदान’ की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता के प्रेरक दृष्टांत प्रस्तुत किए हैं। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं और आपका योगदान बहुआयामी है। दृष्टि बाधित होने के बावजूद आपने अपनी दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। आप एक सहज कवि हैं।’’

मुर्मू ने कहा, ‘‘आपके द्वारा लिखा गया संस्कृत साहित्य विपुल और उत्कृष्ट है। आप दिव्य भाषा संस्कृत के असाधारण उपासक हैं। भारतीय परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ व्याख्याकारों में आपका विशेष स्थान है।’’ उन्होंने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ की व्याख्या के साथ-साथ ‘ब्रह्मसूत्र’, ‘भगवद गीता’ और प्रमुख उपनिषदों पर उनकी टिप्पणियों के लिए उनकी सराहना की।

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