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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ वाली 5 जजों की बेंच ने सुनाया बड़ा फैसला, धारा 6A को संवैधानिक करार दिया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6A को संवैधानिक करार दिया है, CJI की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सुंदरेश और जस्टिस मनोज मिश्रा ने 6A की संवैधानिक मान्यता के पक्ष में फैसला सुनाया है तो वहीं जस्टिश जेपी पारदीवाला ने इसे असंवैधानिक माना

क्या बोले CJI चंद्रचूड़

CJI चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि असम अकॉर्ड अवैध शरणार्थियों की समस्या का राजनीतिक समाधान था और इसमें धारा 6A विधायी समाधान था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि यह असम के लिए अद्वितीय था.

कोर्ट ने माना है कि 6A के तहत 25 मार्च, 1971 की कट ऑफ तारीख सही थी. आजादी के बाद पूर्वी पाकिस्तान से असम में भारत के बाकी क्षेत्रों की तुलना में प्रवास अधिक था. कोर्ट ने कहा कि धारा 6 ए न तो कम समावेशी है और न ही अधिक.

क्या है नागरिकता कानून 1955 के सेक्शन 6A

नागरिकता कानून 1955 के सेक्शन 6A के मुताबिक जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आये हैं वो भारतीय नागरिक के तौर पर खुद को रजिस्टर करा सकते हैं। हालांकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के लायक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि 1966 के बाद से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से अवैध शरणार्थियों के आने के चलते राज्य का जनसांख्यिकी संतुलन बिगड़ रहा है। राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सरकार ने नागरिकता कानून में 6A जोड़कर अवैध घुसपैठ को कानूनी मंजूरी दी गई थी।

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