चारों तरफ से हो रहा था पथराव, भीड़ ईंटों से कर रही थी हमला: हल्द्वानी हिंसा की कहानी घायल पुलिसवालों की जुबानी
हल्द्वानी। देवभूमि उत्तराखंड कल उपद्रवियों के चलते लहूलुहान हो गई। यहां के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर बने अवैध मदरसा व नमाज स्थल को ध्वस्त करने गई पुलिस प्रशासन व नगर निगम की टीम पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पथराव कर दिया।
इस दौरान उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने में आग लगा दी। वहां खड़े पुलिस व मीडियाकर्मियों के दर्जनों वाहन पेट्रोल बम से जला डाले। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह थाने से भागकर जान बचाई। मलिक के बगीचे के पास की गलियों के साथ ही घरों की छतों से लोग पत्थरबाजी कर रहे थे।
एकाएक भीड़ उग्र हो गई और अधिकारियों के साथ ही पुलिसकर्मियों को घेरकर पथराव शुरू कर दिया। अधिकारी और सिपाही आसपास के घरों, गलियों और जो सुरक्षित स्थान लग रहा था, वहां जान बचाने के लिए छिप रहे थे।
वहीं, उपद्रवी पत्थरों की बौछार करने के साथ पुलिस, नगर निगमकर्मियों को पकड़ कर ईंटों से हमला कर रहे थे। इस भगदड़ में कई कर्मचारी और सिपाही जमीन पर भी गिर गए थे। फिर भी जैसे-तैसे जान बचाई और लहूलुहान अवस्था में अस्पताल पहुंचे। पूरे घटनाक्रम से जुड़ी आंखों देखी और आपबीती को पुलिसकर्मियों ने बताया।
पीआरडी जवान उमेश सुयाल ने बताया मैं मदरसे के सामने ड्यूटी पर तैनात था। नारेबाजी के बीच हर तरफ से पत्थर मारे जा रहे थे। इस बीच हुई भगदड़ में सुरक्षित स्थान पर जाने लगे तो भीड़ ने पकड़ लिया और मारना शुरू कर दिया। बचने के लिए नगर निगम की गाड़ी में छिपा तो वहां से भी निकाल कर सिर पर हमले किए। हालांकि, कुछ लोगों ने बचाया, फिर बेस अस्पताल पहुंचा।
लोगों ने बचाई जान
कांस्टेबल संतोष बिष्ट ने कहा मलिक के बगीचे में अवैध निर्माण पर कार्रवाई के दौरान भी पत्थर बरस रहे थे। मैंने सुरक्षा साधनों की मदद से बचाव किया। मगर जैसे ही मशीन हटी तो भीड़ उग्र हो गई। ऐसे में भागने लगे तो पीछे से आए कुछ लोगों ने पकड़ लिया और मारने लगे। हालांकि, कुछ स्थानीय लोगों ने अपने घर ले जाकर बचाया। इसी के साथ प्राथमिक उपचार भी किया। उसके बाद अस्पताल पहुंचे।
पैरों पर पड़े कई पत्थर
कांस्टेबल चंद्रा कांडपाल के अनुसार अतिक्रमण पर हो रही कार्रवाई के विरोध में नारेबाजी हो रही थी। साथ ही लगातार पथराव भी हो रहा था। ऐसे में हम जैसे-तैसे बचाव कर रहे थे। इस बीच हाथ और पैरों पर काफी पत्थर पड़े। बेस अस्पताल आकर प्राथमिक उपचार कराया। चिकित्सकों ने दवाएं दी हैं और गुम चोट बताई है।
कांस्टेबल गुरमीत कौर ने बताया हमारे पास सुरक्षा साधनों के साथ ही एक लाठी ही थी। चारों ओर से पथराव हो रहा था। ऐसे में भगदड़ शुरू हो गई और भगने लगे तो मैं सड़क पर गिर गई। ऐसे में मेरे ऊपर से कई लोग गुजरे मगर कुछ लोगों ने बचाया और अस्पताल ले आए। मेरे पैरों में चोटें आई हैं। हाथों में भी चोट आई है। मुझे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं कैसे बची पता नहीं।