Uttarkashi Rescue : टनल से बाहर आए 15 श्रमिक, उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में कराया जाएगा भर्ती
देहरादून। उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में बचाव अभियान के लिए की जा रही खुदाई के काम को पूरा कर लिया गया है। खुदाई के बाद अबतक 15 श्रमिकों को बाहर निकाला गया है। मुख्य सुरंग के भीतर चिकित्सकों की टीम श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए श्रमिकों से बातचीत कर रहे हैं। उधर टनल से बाहर निकाले जा रहे मजदूरों के लिए बाहरी भाग में गद्दे लगाए गए। उन पर बाहर निकालने के बाद उन गद्दों पर रखा गया। वातावरण के अनुकूल मजदूरों की बॉडी को तैयार करने के बाद उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मजदूरों के बॉडी टेंपरेचर और स्वास्थ्य की स्थिति की जांच के लिए मेडिकल टीम भी सुरंग के अंदर मौजूद है।
एम्स ऋषिकेश के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरिंदर कुमार के मुताबिक टनल से बाहर आने के बाद सबसे पहले मजदूरों को उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। यहां पर चिकित्सा उपचार की आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाने पर ही उन्हें एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया जाएगा. ट्रॉमा सेंटर में 20 बिस्तर लगाए गए हैं।
दीवाली से टनल में फंसे हैं श्रमिक
12 नवंबर को दिवाली के दिन सुबह करीब पांच बजकर 30 मिनट पर उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में भूस्खलन हो गया. जिस वक्त टनल में भूस्खलन हुआ उस समय वहां करीब 50 मजदूर काम कर रहे थे. इनमें से कुछ वक्त रहते बाहर निकल आए और 41 मजदूर सुरंग में ही फंस गए. बता दें कि इस सुरंग में मजदूर दो शिफ्ट में काम कर रहे थे. पहली शिफ्ट सुबह 8 बजे से रात आठ बजे तक काम करती थी, वहीं दूसरी शिफ्ट रात आठ से सुबह 8 तक सिलक्यारा टनल में काम करती थी. जो मजदूर सुरंग में फंस गए वह रात की शिफ्ट में काम कर रहे थे. कुछ घंटे बाद वह काम खत्म कर दिवाली मनाने के लिए जाने वाले थे, लेकिन ये अनहोनी हो गई और मजदूर टनल के अंदर फंस गए।
सुरंग में फंसे मजदूर सुरक्षित हैं. उन्हें लगातार पाइप के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है. इसी वजह से मजदूर जीवित बचे हैं. शुरूआती कुछ दिनों तक मजदूरों को सिर्फ ड्राइफ्रूट्स और चना ही खाने के लिए भेजा गया था. लेकिन बाद में उनके लिए दलिया और कुछ लिक्विड फूड भी भेजा जाने लगा. इसके अलावा मजदूरों को खाने के लिए पका हुआ भोजन और फल भी सिलक्यारा सुरंग में भेजा जा रहा है.