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जेपी नड्डा की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा 2024 का चुनाव, बीजेपी ने एक साल बढ़ाया जेपी नड्डा कार्यकाल

नई दिल्ली :जेपी नड्डा एक साल के लिए और बीजेपी के अध्यक्ष रहने वाले हैं. पार्टी की तरफ से उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दे दिया गया है. इसकी अटकलें पहले से लग रही थी। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के एक्सटेंशन पर मुहर लग गई। नड्‌डा का कार्यकाल अगले एक साल यानी जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है। बता दें कि नड्‌डा को जून 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद 20 जनवरी 2020 को उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया। नड्‌डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा था।

लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बने नड्डा
नड्डा को फिर से अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल गई है। लगातार दूसरा कार्यकाल हासिल करने वाले लालकृष्ण आडवाणी और अमित शाह के बाद तीसरे नेता बन गए हैं। हालांकि, राजनाथ सिंह भी दो बार पार्टी अध्यक्ष बने थे, लेकिन उनका कार्यकाल लगातार नहीं था। नीचे ग्राफिक में भाजपा के गठन से लेकर अब तक बने अध्यक्षों का ब्यौरा दिया गया है

9 राज्यों का विधानसभा चुनाव और 2014 लोकसभा चुनाव वजह
अगले साल तक 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2014 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह एक्सटेंशन किया गया है। नड्डा जुलाई 2019 में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 20 जनवरी 2020 को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाए गए। उनका चुनाव सर्वसम्मति से हुआ। इससे पहले पूर्व अध्यक्ष अमित शाह को भी 2019 में लोकसभा चुनाव तक विस्तार दिया गया था।

चुनावी साल में संगठन से छेड़छाड़ नहीं करने की रणनीति
पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाए जाने की एक अहम वजह इसी साल के आखिर में होने वाले 9 विधानसभाओं के चुनाव भी हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में भी मई-जून के बीच चुनाव कराए जाने के आसार हैं। तकनीकी तौर पर देखें, तो 2022 में भाजपा संगठन के चुनाव नहीं हो सके हैं, इसलिए भी जेपी नड्डा को ही लोकसभा चुनाव तक पद पर बने रहने को कहा गया है। भाजपा के संविधान के मुताबिक कम से कम 50% यानी आधे राज्यों में संगठन चुनाव के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। इस लिहाज से देश के 29 राज्यों में से 15 राज्यों में संगठन के चुनाव के बाद ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता हैं।

विधानसभाओं के चुनाव पर फोकस, जहां 93 लोकसभा सीटें
नड्डा के एक्सटेंशन की वजह आने वाले चुनाव हैं। कुल 10 विधानसभाओं के चुनाव 2023 में होने हैं। इन राज्यों में लोकसभा की 17% सीटें आती हैं। साथ ही उत्तर से दक्षिण तक फैले इन राज्यों के फैसले से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जनता के मिजाज की झलक भी मिल सकती है। नीचे दिए ग्राफिक से इनका सियासी गणित समझा जा सक

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