संसद का शीतकालीन सत्र, पीएम मोदी ने की धनखड़ की तारीफ, कहा- आप सदन की शोभा बढ़ा रहे
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को बधाई देते हुए कहा आप संघर्षों के बीच जीवन में आगे बढ़ते हुए इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे उपराष्ट्रपति किसान पुत्र हैं और उन्होंने सैनिक स्कूल में पढ़ाई की है। इस प्रकार वह जवानों और किसानों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को बधाई देते हुए कहा आप संघर्षों के बीच जीवन में आगे बढ़ते हुए इस मुकाम पर पहुंचे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे उपराष्ट्रपति किसान पुत्र हैं और उन्होंने सैनिक स्कूल में पढ़ाई की है। इस प्रकार वह जवानों और किसानों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।
बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र सात दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें होंगी। कामकाज के लिहाज से यह सत्र सिर्फ 17 दिनों का ही है।
राज्यसभा सांसद पीटी उषा ने सदन में कहा कि गरीबों के लिए चिंता जताने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का विशेष धन्यवाद। यह देश के लिए सौभाग्य की बात है कि हमारी राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय के हैं और अब एक किसान का बेटा उपराष्ट्रपति है। यह एक नया भारत है, जहां गणतंत्र की भावना अब प्रतीकवाद से मूल रूप में स्थानांतरित हो गई है।
यह भी पढ़ें-
Uttrakhand: उच्च शिक्षा विभाग में रिटायरमेंट करीब है तो नहीं बन सकेंगे निदेशक, सरकार ने माँगा सुझाव, जल्द होंगे निर्णय
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में विपक्षी दलों को संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता से वंचित करने का मुद्दा उठाया।
AAP सांसद राघव चड्ढा ने दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजों पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में BJP ने गंदगी कर दी है, नगर निगम की पहली और संवैधानिक जिम्मेदारी साफ-सफाई की होती है। दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल को जो जिम्मेदारी दी, उन्होंने उसे पूरा किया। अब नगर निगम की जिम्मेदारी हमारे पास आ जाएगी तो साफ-सफाई होगी, दिल्ली सुंदर बनेगी।
राज्यसभा में JD(S) सांसद एचडी देवेगौड़ा ने कहा कि मैं इस सदन का एकमात्र सदस्य हूं, जिसका पिछले 20 वर्षों का कड़वा अनुभव रहा है। बोलने का मौका मिलना बहुत मुश्किल है। दोनों सदनों का फैसला कि एक भी सदस्य 2-3 मिनट बोलने के लिए से ज्यादा नहीं ले सकता, यह एक कड़वा अनुभव है।