देश में ऊर्जा आपूर्ति की मांग को देखते हुए सरकार कोयला बिजली उत्पादन (Coal Power Production) को अगले 8 साल में 25 फीसदी तक बढ़ाएगा. भारत इस दशक के अंत तक अपने कोयला बिजली बेड़े का विस्तार लगभग एक चौथाई करने की योजना बना रहा है. माना जा रहा है कि इसके लिए देश में और कोल पॉवर प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं. वहीं, कोयला मंत्रालय ने 2030 तक 100 मिलियन टन कोयला गैसीकरण प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
ऊर्जा मंत्री राज कुमार सिंह ने कहा है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करता है. जब तक बिजली भंडारण की लागत में पर्याप्त गिरावट नहीं आती है. हम लगभग 56 गीगावाट कोयला बिजली क्षमता जोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि भारत रिन्यूवेबल एनर्जी में भी बड़े निवेश की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास को गति देने के लिए रिलायबल पॉवर उपलब्ध कराना प्राथमिकता में है.
ऊर्जा मंत्रालय पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ बिजली क्षमता करने के लक्ष्य का पीछा कर रहा है. भारत की योजना सभी स्रोतों से अपनी उत्पादन क्षमता लगभग दोगुनी करना है. इसीलिए साल 2030 तक 25 फीसदी कोयला बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 820 गीगावाट पहुंचाना है. इसके लिए तेजी से कार्य योजना शुरू की गई है.
2030 तक 100 मिलियन टन गैसीकरण का लक्ष्य
कोयला से रासायनिक उत्पादों को बढ़ाने पर भी कोयला मंत्रालय कार्य कर रहा है. मंत्रालय ने साल 2030 तक 100 मिलियन टन गैसीकरण का लक्ष्य रखा है. इसके लिए चार भूतल कोयला गैसीकरण परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी. इस कार्य के लिए सरकार तीन प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) और गेल इंडिया के साथ मिलकर काम करेगा. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के लगभग 23,000 अवसरों उत्पन्न होंगे.