आपकी लाइफस्टाइल का सीधा असर आपके बॉडी कोलेस्ट्रॉल पर होता है। कोलेस्ट्रॉल दो तरीके के होते हैं- गुड कोलेस्ट्रॉल और बेड कोलेस्ट्रॉल। बेड कोलेस्ट्रॉल को काफी हानिकारक माना जाता है। आर्टरीज में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से ये सिकुड़ने लगती हैं और ब्लड फ्लो भी रुक जाता है। हाई कोलेस्टॉल के कुछ लक्षण पैरों में भी नजर आते हैं।
हाई फैट डाइट, शराब, स्मोकिंग और एक्सरसाइज न करने जैसी ख़राब आदतों के चलते हाई कोलेस्ट्रॉल का सामना करना पड सकता है। इस तरह कि आदतें हार्ट के लिए खतरनाक मानी जाती हैं। कई बार हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल के कोई संकेत नजर नहीं आते और यह काफी धीरे-धीरे आपकी आर्टरीज में जमना शुरू हो जाता है।आर्टरीज में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से ब्लड का फ्लो कम हो जाता है, जिससे कई तरह की बीमारियां होनी शुरू हो जाती हैं जैसे छाती में दर्द, हार्ट डिजीज और स्ट्रोक आदि। ऐसे में समय रहते हाई कोलेस्ट्रॉल के संकेतों का पता लगाना काफी जरूरी होता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के कुछ संकेत पैरों में भी देखने को मिलते हैं।
बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से आर्टरीज में प्लाक जमना शुरू हो जाता है। ब्लड फ्लो रुकने के ये संकेत पैरों में नजर आने लगते है। इससे पैरों में पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का सामना करना पड़ता है. पेरिफेरल आर्टरी डिजीज किसी भी रक्त कोशिका में हो सकता है, हालांकि यह पैरों में होना काफी आम है।
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के कारण चलते वक़्त पैरों में दर्द होता है। यह दर्द कम या बहुत ज़्यादा हो सकता है। कई बार उठते या बैठते समय पैरों में अचानक से दर्द होने लगता है पर कुछ देरआराम करने पर यह दर्द अपने आप ही ठीक हो जाता है। आपको बता दें कि पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के और भी लक्षण होते हैं जैसे कि पैरों और टांगों के बाल झड़ना, पैर सुन्न होना और कमजोरी, पैर के अंगूठे के नाखून का धीरे-धीरे बढ़ना या आसानी से टूट जाना।पैर में अल्सर होना। पैर का रंग पीला या नीला हो जाना। पैर की मसल्स का सिकुड़ना।
लाइफस्टाइल को चेंज करके आप कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकते हैं। दवाइयों के ज़रिये भी कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है लेकिन इसके लिए पहले डॉक्टर को जरूर दिखाएं। हेल्दी डाइट जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज को डाइट में शामिल करें।साथ ही जरूरी है कि आप प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड को खाना बंद कर दें।