हरदोई के एक कुएं का ऐसा पानी,जो दूर करता है रैबीज, वर्षों से हो रहा है इस्तेमाल
हरदोई। हरदोई जिले में लोगों की आस्था से जुड़े तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनका इतिहास बेहद चौकाने वाला है। उन्ही में नस्योली डांमर नाम के स्थान पर लोग दर्शन करने नहीं बल्कि एक ऐसी मर्ज का इलाज करवाने आते हैं, जिसका निदान मेडिकल साइंस के पास भी नहीं है।
कहते है कि रैबीज यानी विशेखा नाम की बीमारी कुत्ते या अन्य किसी जानवर के काटने से होती है। दावा है आश्रम में मौजूद कुएं का पानी पीने से इस बीमारी से लोगों को मुक्ति मिल जाती है। यहां मौजूद संतों ने जानकारी दी कि अब तक यहां इस बीमारी से पीड़ित हजारों लोगों का इलाज किया जा चुका है।
हरदोई जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर मौजूद नस्योली डांबर नाम के स्थान पर महुआपुर गढ़ी आश्रम है। कहा जाता है कि आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व इस स्थान पर एक गुमनाम बाबा आए थे। आज भी उस बाबा का नाम कोई नहीं जानता।
कहते हैं कि उस बाबा को कुत्ते ने काट लिया था और उनको विशेखा यानी रैबीज नाम की बीमारी हुई थी, जिसके बाद उन्होंने यहां एक कुएं को देख उसमें से पानी निकाला और उसे मंत्रोच्चारण कर पी लिया, जिसके बाद वह ठीक हो गए।
बीमारी ठीक होने के बाद उन्होंने यहीं अपना डेरा डाल लिया और उनके शिष्य भी यहीं रहने लगे। उस पढ़े गए मंत्र को उन्होंने अपने शिष्य को बताया और लोगों के उत्थान के लिए यहां रहकर सेवा देने की बात कही, जिसके बाद उन महात्मा ने इसी स्थान पर समाधि ले ली। आज भी उनका समाधि स्थल यहां मौजूद है और उनके आशीर्वाद से यहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
यहां जिस कुएं से पानी पिलाया जाता है, उसकी भी एक प्रक्रिया है। हफ्ते में तीन दिन शनिवार, रविवार और मंगलवार के दिन ही यहां पानी पिलाया जाता है, जिसके लिए संबंधित संत कुएं के पानी को एक हाथ के इस्तेमाल से निकलते हैं। इसके बाद मंत्र उच्चारण कर उसे मरीज को पिलाया जाता है।
अपनी बीमारी का इलाज कराने आए सरोज कुमार ने बताया कि उन्हें कुत्ते ने काट लिया था, जिसके इलाज के लिए वह महुआपुर गढ़ी आश्रम आए हैं। उन्हें पानी पीने से डर लगता था। उनके पेट में जलन की समस्या भी थी, लेकिन आश्रम के कुए का पानी पीते ही उनकी बीमारी ठीक हो गई अब वह आराम से पानी पी सकते हैं। सरोज कुमार ने कहा कि तीन दिनों में ही उनके इस मर्ज का निदान हो गया। इससे वह काफी खुश है।
यहां मौजूद दो वृद्ध संत चंद्रमादास और श्यामदास ने इस स्थल की विधिवत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यहां कुत्ते के काटने से होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से निजात दिलाया जा सकता है। ये सब उन महात्मा के वरदान और ईश्वर की इच्छा का ही फल है।
संतों ने बताया अब तक हजारों लोगों को इस ऐतिहासिक कुएं के पानी से ठीक किया जा चुका है। इतना ही नहीं कुछ एक डॉक्टर भी यहां कुत्ता काटे के बाद पानी पीने आ चुके हैं।