राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए ने अपने उम्मीदवार का एलान कर दिया है. पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपीके राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा भाजपा संसदीय बोर्ड ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 20 नामों पर चर्चा की, जिसके बाद पूर्वी भारत से एक आदिवासी महिला को चुनने का निर्णय लिया गया. राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू बीजेपी की उम्मीदवार होंगी.
द्रौपदी मुर्मू के जीवन के बारे में बात करें तो ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर, भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ओर से, राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल रहा है. राजग उम्मीदवार मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जूझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था.
पार्षद के रूप में राजनीतिक जीवन शुरू किया
संथाल समुदाय से आने वाली मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. बाद में वे रायरंगपुर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की उपाध्यक्ष बनीं. 2013 में वह पार्टी के एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य के पद तक पहुंचीं. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, 2000-2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त, 2002 से मई तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं.
सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से किया गया सम्मानित
मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजद ने राज्य के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था, जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने जीत दर्ज की थी.
कुछ ऐसा रहा वैवाहिक जीवन
मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था और दंपती के तीन संतान हैं- दो बेटे और एक बेटी. मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया है. उनकी बेटी इतिश्री का विवाह गणेश हेम्ब्रम से हुआ है.
निर्वाचित होने के बाद बनेंगी पहली आदिवासी राष्ट्रपति
वह साल 2000 और 2004 में ओडिशा के रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थीं. वह 2015 में झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने वाली पहली महिला थीं. वह राज्यपाल नियुक्त होने वाली पहली महिला आदिवासी नेता रही हैं. निर्वाचित होने के बाद द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति (President) और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. इसके अलावा वे ओडिशा से भी प्रथम राष्ट्रपति होंगी. उन्होंने राजनीति और समाज सेवा में लगभग दो दशक बिताए हैं.