मुस्लिम समाज का दूसरे धर्मों को अपमानित व प्रताड़ित करने का रहा है लंबा इतिहास
भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का विरोध भारत सहित दुनिया के कई देशों का मुस्लिम समाज कर रहा है।
वैसे तो किसी भी धर्म के पूजनीयों, धार्मिक प्रतीकों या पूजा स्थलों को क्षति पहुँचाना एक अपराध है लेकिन पैगंबर मोहम्मद के अपमान को लेकर एकजुट मुस्लिम समाज का दूसरे धर्मों को अपमानित व प्रताड़ित करने का लंबा इतिहास रहा है।
मुग़ल काल में भारत में अयोध्या की राम जन्मभूमि, मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि व वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर सहित हजारों मंदिर तोड़े गए।
आधुनिक संसार की बात करें तो 2 मार्च 2001 को अफगानिस्तान के मुस्लिम तालिबानियों ने बामियान पहाड़ी पर कब्ज़ा करने के लिए भव्यतम व स्थापत्य कला का एक जीवंत नमूना भगवान बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट किया।
तालिबानियों ने पहले तो रॉकेट लांचर से इन मूर्तियों पर लगातार प्रहार किए, पर मूर्तियां इतनी मज़बूत थी कि नष्ट नही हुई। इसके बाद मूर्तियों में बने सुराखों में बारूद लगाकर इन्हें उड़ा दिया गया। यूनेस्को ने इन्हें वर्ल्ड हेरिटेज साइट के तहत सूचीबद्ध किया था।
बांग्लादेश में मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा पिछले 13 वर्षों में अकेले इस्कॉन मंदिर पर ही 6 हमले हो चुके हैं। पिछले एक दशक में दुनियाभर में इस्कॉन मंदिरों पर सबसे ज्यादा हमले बांग्लादेश में हुए हैं।
बांग्लादेश मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से 2021 तक बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाते हुए 3600 हमले हुए।इस स्टडी के अनुसार, इन 8 वर्षों के दौरान हिंदुओं के खिलाफ हमलों में 550 से अधिक घरों और 440 दुकानों और व्यवसायों को निशाना बनाया गया और उनमें तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इस दौरान हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ और आगजनी के 1,670 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
पाकिस्तान की बात करें तो हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ व हिंदुओं के खिलाफ हमले यहाँ कोई नई बात नहीं है।
1947 में पाकिस्तान के जन्म से ही वहां भारत व हिंदू विरोध के एक लम्बी दास्तान है. पाकिस्तान के सिंध, कराची, खैबर पख्तूनवा जैसे लगभग सभी इलाकों में हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ लगातार होते रहे हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर पर हिंदुओं पर हमले, हिंदु लड़कियों का जबरन धर्मांतरण आम बात हो गई है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि पैगंबर मोहम्मद पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ कानून हाथ में लेने जैसा हिंसक विरोध करने की हद तक जाने वाला मुस्लिम समाज क्या दूसरे धर्मों के प्रति भी उतना ही सहिष्णु है?