बीते साल 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर हादसे में हमने देश के CDS जेनेरल बिपिन रावत को खो दिया था.. लेकिन क्या हमने उस हादसे से कोई सबक लिया. ये सवाल क्यूं पूछ रही हूं मैं दरअसल उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी 7 जून को एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हेलीकाप्टर से हिस्सा लेने मिनी स्टेडियम पजिटीलानी पहुंचे थे…
ये आसमान से उतरता चौपर नहीं आफत है..और इस आफतनुमा चौपर में कोई और नहीं बल्कि खुद सीएम धामी बैठे हैं. यूं तो सीएम साहब चकराता में एक कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे थे. लेकिन जिस स्टंट बाजी के अंदाज में उनका हेलीकॉप्टर लैंड हुआ उसके बाद तो कइयों की जान पर बन आई.. धूल का भयंकार गुबार, कार्पेट उड़ने लगा लोक कलाकार को जान बचाकर भागना पड़ा.. हादसा हुआ नहीं गलीमत है लेकिन हादसा होता नहीं इसकी गायरेंटी कोई नहीं ले सकता..
अलबत्ता सीएम साहब ने कार्यक्रम में पहुंचकर इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया.. और DGP साहब ने सख्त दिशा निर्देश देकर अपना फर्ज निभाया..
इसमें कोई दोराय नहीं कि आम लोगों में हेलीकॉप्टर को देखने के लिए एक उत्साह रहता है.. लेकिन ज़िम्मेदारी प्रशासन की है कि वो इस उतावलेपन पर लगाम लगाए.. दूसरी तरफ प्रशासन के लिए ये भी देखना ज़रूरी है कि चौपर लैंडिंग नियम कायदे के साथ हो क्यूंकि इस घटना से सबक सिर्फ इतना है कि छोटी सी चूक से बड़ा हादसा हो सकता था.. और हादसे के बाद किसी सफाई का कोई मतलब नहीं..