यूपी में अब तक की हुई 5 घटनाएं, जिनमें हुआ था काफी दंगा
कानपुर के बेकनगंज में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद दो समुदायों में बवाल हो गया। दोनों पक्षों के करीब एक हजार लोग इकट्ठा हो गए और ईंट-पत्थर चलने लगे। जिस वक्त यह सब हो रहा था उस वक्त बेकनगंज से 50 किलोमीटर दूर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद थे। फिलहाल, इस वक्त मामला शांत है लेकिन तनाव बरकरार है।
फैक्ट्री, कारखानों से अपनी पहचान बनाने वाला कानपुर आमतौर पर शांत माना जाता है। लेकिन पिछले 30 साल में 6 बार सांप्रदायिक हिंसा के ऐसे मामले सामने आए जिससे लोग सहम गए। आइए उन्हीं पांच मामलों को जानते हैं…
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया। इसका असर कानपुर में भी दिखा। 10 दिसंबर को गोविंद नगर इलाके में उपद्रवी भीड़ ने एक समुदाय के 11 लोगों को घेरकर जिंदा जला दिया। इसमें दो महिलाएं और 1 बच्चा भी शामिल था। इस मामले पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
कानपुर की जिला अदालत में इस मामले की सुनवाई चली। पीड़ित पक्ष की तरफ से 24 गवाह पेश किए गए। इसमें 10 लोग मुकदमें के दौरान अपने बयान से पलट गए। पुलिस ने कुछ ऐसे सबूत पेश किए जिससे साबित हुआ कि गिरफ्तार किए लोग ही आगजनी, दंगा और हत्या के मामले में शामिल थे।
15 साल केस चलने के बाद कानपुर के जिला और सत्र न्यायाधीश एसएम हसीब ने 22 अक्टूबर 2007 को इस मामले पर सजा का ऐलान किया। 15 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। 9 लोगों को बरी कर दिया गया। जबकि एक आरोपी की इस दौरान मौत हो गई थी। दोषियों की तरफ से वकील योगेश भसीन ने जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
घटना 2: 16 मार्च 2001, परेड स्थित यतीमखाना चौराहा पर दो समुदायों में विवाद हो गया। प्रशासन को सूचना मिली तो ADM वित्त सीपी पाठक घटना स्थल पर पहुंचे। दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश कर रहे थे तभी पत्थरबाजी शुरू हो गई। नवीन मार्केट, परेड मुर्गा मार्केट और सोमदत्त प्लाजा के पास हिंसा भड़क गई। उपद्रवियों ने आगजनी शुरू कर दी। वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
हिंसा रोकने के लिए सीपी पाठक लगातार भागते रहे तभी सामने से एक गोली आई और उनके सीने में जा घुसी। सीपी पाठक की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया। आंसू गैस के गोले दागे। इस मामले में वासिफ हैदर, मुमताज, हाजी अतीक, सफात रसूल, फाकिर और रेहान के खिलाफ मामला दर्ज किया। फाकिर और रेहान को छोड़कर चारों को गिरफ्तार कर लिया।
17 साल की न्यायिक लड़ाई के बाद 12 दिसंबर 2018 को जिला अदालत ने गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को बरी कर दिया। वासिफ ने राज्य सरकार पर मानहानि का केस दाखिल करते हुए 15 करोड़ 1 लाख 23 हजार 240 रुपए का दावा ठोंका। प्रशासन की तरफ से कोई हाजिर नहीं हुआ। कोर्ट में मामला अभी भी है। सीपी पाठक की हत्या किसने की, इस सवाल का जवाब नहीं मिल सका है।
घटना 3: 21 अगस्त 2014 को घाटमपुर तहसील के भीतरगांव के एक कारोबारी के घर चोरी करने घुसे गुड्डू तिवारी और गुड्डू पासी को रंगे हाथ पकड़ लिया गया। इसके बाद उन्हें बांधकर बुरी तरह से पीटा गया। हाथों में कील ठोंक दी गई। मरणासन्न हालत में उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने बिना कोई कार्रवाई किए दोनों को थाने से छोड़ दिया। घायल अवस्था में वो घर पहुंचे तो गांव वाले उग्र हो गए।
करीब 500 की संख्या में लोग पहले भीतरगांव चौकी पहुंचे। चौकी इंचार्ज राम शंकर सरोज ने समझाने की कोशिश की लेकिन भीड़ नहीं मानी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। कस्बे की दुकानों को पहचान करके आग लगाई जाने लगी। लोगों को घरों से निकालकर पीटा जाने लगा। एजाज नाम के युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
आईजी जोन आशुतोष पाण्डेय, डीएम रोशन जैकब, एसडीएम घाटमपुर और कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। करीब 15 दिनों तक इलाके में भारी पुलिस फोर्स तैनात रही। मारे गए एजाज के परिजनों को 2 लाख रुपए मुआवजा मिला। जिनकी दुकानें जलाई गई उन्हें 50 हजार रुपए दिए गए।
घटना 4: 1 अक्टूबर 2017 को जूही थाना क्षेत्र के परमपुरवा में मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकाली गई। आखिरी वक्त में इसका रूट बदल दिया गया। इसे लेकर दो बच्चे आपस में भिड़ गए। उसके बाद उनके माता-पिता और फिर यह विवाद दो समुदायों के बीच पहुंच गया। दोनों पक्षों के बीच पत्थर चलने लगे। धीरे-धीरे हिंसा बढ़ी और आगजनी शुरू हो गई। दो कारों और चार मोटरसाइकिलों में आग लगा दी गई।
भीड़ को रोकने पहुंची पुलिस पर भी हमला हो गया। लोग एक-दूसरे समुदाय के लोगों को पकड़कर लाठियों से पीटने लगे। प्रशासन ने PAC बुला ली। आंसू गैस के गोले दागे गए। उस वक्त के ADG कानून व्यवस्था आनंद कुमार मौके पर पहुंच गए। भीड़ पर किसी तरह से काबू पाया गया। किसी की जान नहीं गई लेकिन भारी आर्थिक नुकसान हुआ। करीब 1 हफ्ते तक PAC और RAF की एक-एक कंपनी तैनात रही। PAC की एक कंपनी में 100 जवान होते हैं।
घटना 5: 20 दिसंबर 2019 को बेकनगंज के यतीमखाना और बाबूपुरवा में NRC यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। देखते ही देखते हिंसा शुरू हो गई। 20 दिसंबर की शाम को दो वाहनों और दो दुकानों को भीड़ ने तोड़ दिया। 21 दिसंबर को भीड़ दोबारा उग्र हुई और बेकनगंज पुलिस चौकी में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
दो पुलिसकर्मियों की निजी गाड़ियों सहित 4 गाड़ियों में आग लगा दी। पुलिस ने किसी तरह से हिंसा पर काबू पाया। तीन दिन बाद प्रशासन ने 70 से अधिक उपद्रवियों को चिन्हित किया और उनके पोस्टर बाबूपुरवा के चार रोड चौराहे और ईदगाह मैदान पर लगा दिए गए। करीब 30 लोगों की गिरफ्तारी की गई और तोड़फोड़ से हुए नुकसान की भरपाई भी