Kanpur Violence: Uttar Pradesh के कानपुर में क्यों चले दो समुदायों के बीच पत्थर ?
उत्तर प्रदेश के कानपुर में नई सड़क पर बवाल संभालने के लिए पुलिस फोर्स बहुत कम थी पर पांच जांबाजों ने मोर्चा संभाला तो हजारों की संख्या में पथराव-बमबाजी, गोलीबारी करने वाले उपद्रवियों को पीछे हटना पड़ा। बवालियों के बीच बेकनगंज थाने के सिपाही मुश्ताक खां ने चिल्लाकर कहा कि सड़क खाली कर दो वरना जीप चढ़ा दूंगा। जिस वक्त भीड़ नई सड़क से सद्भावना चौकी की तरफ बढ़ रही थी उस वक्त वहां एसीपी अनवरगंज मोहम्मद अकमल खां के साथ पांच सिपाही मौजूद थे।
सिपाही मुश्ताक खां ने जीप उपद्रवियों की ओर तेज रफ्तार में दौड़ा दी। पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर वह लगातार कहते रहे। ऐसे में भीड़ तितर-बितर हो गई। वह दस बार जीप उपद्रवियों की भीड़ के बीच से चीरते ले गया। मुश्ताक ने बताया कि भीड़ काफी उग्र थी। उन्हें इसके अलावा कुछ और समझ नहीं आया। लोगों को सुरक्षित प्राथमिकता पर थी।
एसीपी अनवरगंज मोहम्मद अकमल खां मौके पर मौजूद थे। उनके साथ कुछ सिपाही थे। उग्र भीड़ को देखते हुए वह बेकनगंज थाने की जीप के पीछे चार सिपाहियों के साथ दौड़ पड़े। उन्होंने उपद्रवियों से मोर्चा लिया।
एसीपी ने मोर्चा संभाला तब तक एडीसीपी ईस्ट राहुल मिठास थोड़ी फोर्स के साथ पहुंच गए। उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए फोर्स के साथ मिलकर लाठीचार्ज किया। भीड़ को चमड़ा मंडी वाली गली में पहुंचा दिया था।
बैकअप फोर्स के लिए कंट्रोल रूम को मैसेज मिलने के बाद एक के बाद अधिकारी पहुंचने लगे। भीड़ ने दोपहर में दोबारा पथराव किया तब डीसीपी ईस्ट प्रमोद कुमार मोर्चा संभाल चुके थे। उन्होंने जवाबी कार्रवाई शुरू कराई। तब तक ज्वाइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पूरे ऑपरेशन की कमान संभाली। चार बार में फोर्स ने रूट को पार करते हुए सामान्य स्थितियां बनाईं।