उत्तर प्रदेश की रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर उप-चुनाव का एलान हो गया है। रामपुर से केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के चुनाव मैदान में उतरने की अटकलें हैं। वहीं, बसपा ने रामपुर सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारने का एलान किया है। ऐसे में मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच हो सकता है। हालांकि, रामपुर लोकसभा सीट पर किसी दौर में कांग्रेस का भी अच्छा प्रभाव रहा है।
आजम खां का गढ़ कही जाने वाली इस सीट का इतिहास कुछ और कहता है। बीते दस चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो इस सीट पर तीन-तीन बार सपा और भाजपा को जीत मिली है। वहीं, चार बार कांग्रेस यहां से जीतने में सफल रही है। पिछले पांच चुनावों में तीन बार सपा और दो बार भाजपा जीती है। ऐसे में उप-चुनाव में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
रामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन पांच में से तीन सीटें सपा को तो दो सीटें भाजपा को मिली थीं। रामपुर विधानसभा सीट से आजम खान, स्वार से उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और चमरौआ विधानसभा सीट से नसीर अहमद खान सपा के टिकट पर जीते थे। वहीं, बिलासपुर सीट से बलदेव औलख और मिलख सीट से राजबाला सिंह भाजपा के टिकट पर जीतीं थीं।
पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा को कुल 4 लाख सात हजार से ज्यादा वोट मिले। वहीं, सपा को 5 लाख 52 हजार से ज्यादा वोट मिले। यानी, सपा को भाजपा के मुकाबले करीब एक लाख 44 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। हालांकि, लोकसभा के मुकाबले दोनों के कुल वोट में कमी आई थी। सपा को जहां लोकसभा के मुकाबले करीब सात हजार वोट कम मिले वहीं, भाजपा को करीब 41 हजार वोटों का नुकसान हुआ।
आजम खां से पहले इस लोकसभा सीट पर रामपुर नवाब घराने का दबदबा रहा है। 1999 और 1996 में नवाब घराने से ताल्लुक रखने वालीं बेगम नूर बानो कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं। उनसे पहले उनके पति जुल्फीकार अली खान इस सीट से पांच बार जीते थे। दोनों के बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां स्वार और बिलासपुर सीट से पांच बार विधायक रहे हैं। 2009 तक नवाब परिवार इस सीट पर या तो जीतता रहा, हारा भी तो मुकाबले में जरूर रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में काजिम अली खां कांग्रेस के टिकट पर रामपुर विधानसभा सीट से मैदान में थे। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा।