रूस में भारतीय तेल कंपनियों के ₹1000 करोड़ रुपये फंसे, इस वजह से नहीं मिल पा रहा डिविडेंड
रूस-यूक्रेन के बीच जंग का असर भारतीय तेल कंपनियों पर भी देखने को मिल रहा है. यूक्रेन पर अटैक के बाद रूस से डॉलर में होने वाले विदेशी भुगतान पर रोक लगने से भारतीय तेल कंपनियों की आठ अरब रूबल (करीब 1,000 करोड़ रुपये) की डिविडेंड इनकम रूस में ही अटक गई है. पब्लिक सेक्टर की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
भारतीय कंपनियों ने किया है निवेश
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में चार एसेट्स में स्टेक खरीदने के लिए करीब 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है. इन एसेट्स से निकलने वाले तेल एवं गैस की बिक्री से भारतीय कंपनियों को डिविडेंड मिलता है. हालांकि यूक्रेन से जंग के बाद रूस की सरकार ने अमेरिकी डॉलर में पेमेंट करने पर रोक लगा दी है. इस पाबंदी की वजह से भारतीय तेल कंपनियां रूस से अपनी इनकम नहीं निकाल पा रही हैं.
इन क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी
वैंकोरनेफ्ट तेल एवं गैस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के पास 49.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि तास-युरिआख नेफ्तगेजोदोबाइचा क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी 29.9 फीसदी है.
ऑयल इंडिया लिमिटेड के निदेशक (वित्त) हरीश माधव ने कहा, ‘हमें अपनी परियोजनाओं से नियमित तौर पर अपनी डिविडेंड इनकम मिलती रही है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विदेशी मुद्रा दरों में अस्थिरता होने से रूसी सरकार ने डॉलर की निकासी पर पाबंदी लगाई हुई है.’
तास क्षेत्र से भारतीय कंपनियों को क्वार्टरली बेसिस पर डिविडेंड मिलता रहा है. माधव ने कहा कि रूस के इन तेल-गैस क्षेत्रों में भागीदार भारतीय कंपनियों की करीब आठ अरब रूबल की डिविडेंड इनकम फंसी हुई है. उन्होंने कहा कि वैसे यह कोई बड़ी राशि नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि यूक्रेन संकट खत्म होते ही यह राशि वापस मिल जाएगी.
ओएनजीसी की विदेशी इकाई ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) के पास पश्चिम साइबेरिया के वैंकोर क्षेत्र में 26 फीसदी हिस्सेदारी है. इस क्षेत्र में इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया और भारत पेट्रोरिसोर्सेज लिमिटेड के पास भी 23.9 फीसदी की हिस्सेदारी है. इस समूह की तास क्षेत्र में भी 29.9 फीसदी हिस्सेदारी है.