ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई पूरी, कल 2 बजे फैसला सुनाएगा वाराणसी कोर्ट
वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी विवाद पर आज सोमवार को वाराणसी जिला कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। आज करीब 45 मिनट तक सुनवाई हुई। आगे की सुनवाई को लेकर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और अब कल इस मामले पर फैसला आएगा। आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट में डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र के अलावा हिंदू पक्ष और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दाखिल की गई आपत्तियों पर भी बहस हुई। दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में आज का दिन बेहद अहम था, क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार वाराणसी जिला जज ने मामले की सुनवाई की।
बीते 20 मई को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ज्ञानवापी केस को वाराणसी जिला जज की कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा था कि मामला हमारे पास जरूर है लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए।
कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 मई को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट से ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित पत्रावली जिला जज की कोर्ट में स्थानांतरित कर दी गई।
7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कही थीं तीन बड़ी बातें
- पहला- शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए।
- दूसरा- मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए।
- तीसरा- सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला ऑर्डर अब लागू नहीं। यानी ये तीनों निर्देश अगले 8 हफ्तों तक लागू रहेंगे। इसमें किसी प्रकार का बदलाव नहीं होगा।
पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी दाखिल करेंगे याचिका
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा है कि वह ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा के लिए सोमवार को कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा ‘ज्ञानवापी कभी मस्जिद नहीं थी, वह अनादि काल से मंदिर है। अब जबकि हमारे आराध्य देव मिल गए हैं, तो हम उनकी नियमित पूजा करना चाहते हैं। हमारे प्रभु रोजाना स्नान, शृंगार और भोग-राग के बगैर रहें, यह कितनी ही कष्टदायक बात है। इसलिए हम अपने भोलेनाथ की पूजा की अनुमति देने के लिए कोर्ट से गुहार लगाएंगे।’