मां के हाथ से दही चीनी खाई और आशीर्वाद लेकर लौट गए सीएम योगी, कई मायनों में यादगार रहा दौरा, देखें तस्वीरें
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का तीन दिवसीय यमकेश्वर दौरा परिजनों, ग्रामीणों और क्षेत्रवासियों के लिए यादगार रहेगा। बृहस्पतिवार को यूपी लौटते हुए योगी आदित्यनाथ ने अपनी मां सावित्री देवी के हाथों दही चीनी खाई और पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
मां ने भी बेटे को लोक कल्याण के लिए समर्पित होकर काम करने का आशीर्वाद दिया। जाते हुए योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय पहुंचकर शिक्षकों से मुलाकात की और गुुरु अवेद्यनाथ की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया।
उनके छोटे भाई महेंद्र बिष्ट ने बताया कि उनका कार्यक्रम भले ही व्यक्तिगत था, लेकिन रात साढ़े दस बजे तक उनके ग्रामीणों और क्षेत्रवासियों का मिलने का दौर चलता रहा। योगी आदित्यनाथ संयास ग्रहण करने के बाद दो से तीन बार ही मां का हालचाल जानने के लिए गांव आए थे। यूपी की कमान संभालने के बाद वह पहली बार गांव आए।
बुधवार रात को भी लोग साढ़े दस बजे तक उनके मिलने पहुंचते रहे। लोगों का कहना है कि यमकेश्वर के लाल योगी आदित्यनाथ के यूपी जैसे बड़े प्रदेश की दोबारा सत्ता संभालने पर सभी अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार सुबह सीएण योगी चार बजे से पहले उठ गए थे। नित्यक्रम के बाद करीब आधे घंटे योग ध्यान किया। गोशाला में गाय को पूरी रोटी खिलाई और फिर खुद नाश्ता किया। करीब साढ़े दस बजे वह घर से विदा लेकर महाविद्यालय पहुंचे।
यहां उन्होंने गुरुजनों का आशीर्वाद लिया और गुरु अवेद्यनाथ की प्रतिमा के सामने मत्था टेककर हरिद्वार के लिए रवाना हुए।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय ग्राम प्रवास के दौरान उनके परिजनों के साथ ही सहपाठियों ने पुरानी यादें ताजा की। पंचूर गांव में उनकी माता सावित्री देवी के साथ ही अन्य तीन भाइयों मानवेंद्र, शैलेंद्र और महेंद्र का परिवार रहता है। उनकी तीनों बड़ी बहनों पुष्पा, कौशिल्या और शशि का विवाह हो चुका है।
महेंद्र के बेटे के मुंडन के लिए तीनों बहनें गांव आई थीं। लंबे समय बाद भाई से मिलकर बहनें भावुक हो उठी। सीएम योगी से छोटे शैलेंद्र मोहन बिष्ट सेना में है। वह इन दिनों छुट्टी पर हैं। परिजन बताते हैं कि वर्ष 1993 में सन्यास धारण करने के बाद योगी आदित्यनाथ कई बार पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए उत्तराखंड आए थे।
वर्ष 1999 में वह छोटे भाई शैलेंद्र मोहन और वर्ष 2013 में सबसे छोटे भाई महेंद्र की शादी में शामिल होने के लिए गांव पहुंचे थे। तब वे गोरखपुर से सांसद थे। इस बार उन्होंने ज्यादा समय देकर सभी के मिलने की मुराद पूरी कर दी।