जानिए उत्तराखंड की कुछ पारम्परिक परिधान के बारे में
उत्तराखंड एक खूबसूरत राज्य है। इस राज्य को दो हिस्सों के आप बांट सकते हैं। कुमाँऊ और गढ़वाल उत्तराखंड के दो हिस्से हेैं, और इन्ही हिस्सों से यहां हर चीज़ बाटी जाती है। यहां दो भाषा भी है कुमाउनी और गढ़वाली। भाषा के अलावा यहां की वेश-भूषा और परिधान भी इन्ही दो क्षेत्रों के हिसाब से विभाजित है। तो चलिए अब आपको यहां के पहनावे के बारे में कुछ विशेष बताते हैं।
उत्तराखंड की है पारम्परिक परिधान
हर राज्य का अपना विशेष परिधान होता है। उत्तराखंड में भी ऐसा ही है। यहां मूलतः दो प्रकार के परिधान पाए जाते है| जिसमे से एक होता है कुमाउनी परिधान (Kumauni Apparel) और दूसरा होता है गढ़वाली परिधान ( Garhwali Apparel)।
यहां के स्त्री, पुरुष और बच्चों के कपड़े बेहद ही रंगीन होते हैं। यहां के लोगो द्वारा पहने जाने वाले पहनावे कुछ इस प्रकार है।
कुमाउनी पुरुष वेश-भूषा:
यहां के पुरुष पारम्परिक तौर पर धोती, कुर्ता,पैजामा,सुराव, कोट,भोटू,कमीज़, टांक यानि साफ़ और टोपी आदि को अपने पहनावे में शामिल करते है।
कुमाउनी महिला और बच्चों की वेश-भूषा:
अगर यहां की महिलाओं के पहनावे की बात करें तो वो घगरा, लहंगा,आंगड़ी, खानू, चोली, धोती, आदि पहाना पसंद करती है। और अगर यहां के बच्चों की बात करें तो उनके परिधान में झागुली, झागुल कोर्ट, संतराथ आदि शामिल है।
गढ़वाली पुरुषों के परिधान:
धोती,चूड़ीदार पजामा, सफेद टोपी, पगड़ी, वास्कट, गुलबंद, मिरजई आदि शामिल है|
गढ़वाली स्त्रियों और बच्चों के परिधान:
अगर हम गढ़वाली क्षेत्र के स्त्रियों और बच्चों के पहनावे की बात करें तो इसमें स्त्रियां आंगड़ी,गाती, धोती, पिछवाड़ा आदि जैसे वस्त्र इनके पहनावे में शामिल है।
वहीं दूसरी ओर अगर बच्चों की बात करें तो इसमें झगुली,घाघरा, कोर्ट, चूड़ीदार पजामा, संतराथ आदि जैसे कपड़े शामिल है।