एम्बुलेंस का हूटर बजने से नाराज़ हुआ डॉक्टर, जूते मारने और चेहरा बिगाड़ने की दी धमकी
यूपी के प्रतापगढ़ जिले के मान्धाता पीएचसी में एंबुलेंस के ईएमटी से डॉक्टर की अभद्रता का मामला सामने आया है। आधी रात को एंबुलेंस में मरीज को लेकर पहुंचे ईएमटी को पीएचसी में तैनात डॉक्टर ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा अस्पताल परिसर में न घुसने की धमकी दे डाली।
मामला मान्धाता पीएचसी का है। जहां आधी रात को एक साल के बच्चे की तबीयत खराब हो गई। बच्चे के परिजनों ने 108 एंबुलेंस को फोन कर बुलाया। एंबुलेंस पहुंची और मरीज को साथ लेकर मान्धाता पीएचसी पहुंची। हूटर बजने से नींद में खलल पड़ी तो पीएचसी पर तैनात डॉक्टर सुरेश यादव ने एंबुलेंस के ईएमटी विजय को गालियां देनी शुरू कर दी।
"कान खोल कर सुन लो अगर गाड़ी का हूटर बजा और गाड़ी की एंट्री हुई तो निकाल कर इतना जूता मारूंगा की शक्ल नही पहचान पाओगे"..
ये एक डॉक्टर की भाषा है, गंभीर हालत का मरीज जब अस्पताल पहुंचा तो डॉक्टर सुरेश यादव ने इस तरह से बात किया
मामला प्रतापगढ़ मांधता सीएचसी का है @brajeshpathakup pic.twitter.com/0g6hxbRUDd— Mohammad Imran (@ImranTG1) April 14, 2022
डॉक्टर ने कहा कि, ‘आज के बाद अगर एम्बुलेंस यहां घुसी और हूटर बजा तो गिराकर इतने जूते मारूंगा की शक्ल नहीं पहचान में आएगी। विजय ने अपनी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि, सर मरीज सीरियस है तो यहां नहीं लाता तो कहां लेकर जाता।
इस पर पीएचसी पर तैनात सुरेश यादव ने कहा कि, ‘मरीज सीरियस है तो ये तुम बताओगे की मैं क्या करूं। डॉक्टर ने पूछा कि, तुम डॉक्टर हो कि मैं। तुम डिसाइड करोगे की मरीज सीरियस है या नहीं। वहीं वीडियो सामने आने पर सीएमओ अरविंद श्रीवास्तव ने संज्ञान लेते हुए डॉ. का तबादला कर दिया। हैरानी की बात है कि डॉक्टर की पीएचसी से सीएचसी में पोस्टिंग कर दी गई है।
वहीं पूरे मामले पर पीएचसी मान्धाता पर तैनात डॉक्टर सुरेश यादव का कहना है कि एंबुलेंस का चालक मरीज को लेकर आए तो इमरजेंसी में ना आकर मेरे आवास पर चले गए। जहां पर 2 महीने की बेटी है और पत्नी थी। जबकि मैं इमरजेंसी में बैठा था। ये लोग वहां गए और हूटर बजाते रहे। इस पर मेरी पत्नी ने कहा कि डॉक्टर साहब इमरजेंसी में हैं। आप वहां जाइए। इमरजेंसी में ना आकर 2 मिनट तक परिसर में ही एंबुलेंस का हूटर बजाते रहे जिससे वहां पर और मरीजों को भी दिक्कत हो रही थी।
डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को डिहाइड्रेशन हो गया था और हमने प्राथमिक उपचार किया। लेकिन हालत में सुधार न होने पर हमने उसको रोक दिया कि इसको लेकर आप जिला अस्पताल जाएं। इसी बात से नाराज हो गया और वहां पर हंगामा करने लगा।