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इस साल भी नहीं हो पाएंगे राष्ट्रीय खेल, सिस्टम की खेलों पर सुस्ती भारी,आधी अधूरी रह गई तैयारी

उत्तराखंड में खेलों को बढ़ावा दिए जाने के भले कितने दावे किए जाते रहे हों, लेकिन धरातल पर किस तरह से काम हो रहा है, इसका अंदाजा प्रदेश को आवंटित 38वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी से लगाया जा सकता है। राज्य को 2014 में आवंटित राष्ट्रीय खेल 2018 में होने थे, लेकिन चार साल बाद इस साल 2022 में भी यह खेल नहीं हो पाएंगे।

सिस्टम की राष्ट्रीय खेलों की तैयारी पर इस कदर सुस्ती भारी है कि 2018 में प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों की तिथि हर साल आगे खिसकती जा रही है। 2018 में राष्ट्रीय खेल नहीं हो पाए तो निर्णय लिया गया कि 2020 में राष्ट्रीय खेल होंगे। इसके लिए विभाग की ओर से तय समय पर सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी, लेकिन 2020 में भी खेल नहीं हो पाए।

राष्ट्रीय खेल ऑपरेशन के लिए 250 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित की गई

इसके बाद विभाग की ओर से पिछले साल खेलों के लिए दो मुख्य और छह सैटेलाइट स्थल चयनित किए गए। जिनमें देहरादून और हल्द्वानी मुख्य स्थल थे। इसके अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश, गूलरभोज, रुद्रपुर, नैनीताल एवं पिथौरागढ़ में प्रतियोगिताएं होनी प्रस्तावित थी। निर्णय लिया गया था कि प्रतियोगिताओं के आयोजन में किसी तरह की दिक्कत पैदा न हों इसके लिए भारतीय ओलंपिक संघ एवं संबंधित राष्ट्रीय खेल संघों के साथ समन्वय स्थापित कर स्थलों को अंतिम रूप दिया जाएगा।

राष्ट्रीय खेल अवस्थापना विकास के लिए 496 करोड़ एवं राष्ट्रीय खेल ऑपरेशन के लिए 250 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित की गई, लेकिन राष्ट्रीय खेलों की तैयारी को लेकर विभागों की मैराथन बैठकों के बावजूद इस दिशा में धरातल पर कुछ नहीं हुआ। विभागीय सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के नाम पर यदि कुछ हुआ तो ऐसे निर्माण कार्य हुए जिनका कोई लाभ नहीं होने वाला है। राष्ट्रीय खेलों को लेकर जिस तरह की तैयारी चल रही है। यदि यही हाल रहा तो अगले तीन से चार साल बाद भी 38वें राष्ट्रीय खेल नहीं हो पाएंगे।

केंद्र से अब तक नहीं मिली आर्थिक सहायता

राष्ट्रीय खेलों को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की गई थी। इसके लिए 500 करोड़ की पहली किश्त की मांग की गई थी, लेकिन प्रदेश को केंद्र से अब तक इस संबंध में कोई सहायता नहीं मिली। प्रदेश में इस साल 38वें राष्ट्रीय खेल नहीं हो पाएंगे। इसकी एक वजह यह भी है कि अभी 36 व 37वें राष्ट्रीय खेल भी नहीं हो पाए हैं।

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