होली 2022: भद्रा के कारण उत्तराखंड में 19 मार्च को खेली जाएगाी होली, 17 को है होलिका दहन
कुमाऊं की होली का अपना विशेष स्थान है। शुभ मुहूर्त पर ही होली गायन होता है। इस बार होली के दिन प्रारंभ होने की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। वहीं, पंडितों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार भद्रा लगने की वजह से होली 19 मार्च को होगी। जबकि होलिका दहन 17 मार्च को होगा।
कुमाऊं में होली को लेकर आम जनता में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। इस संबंध में जौलकांडे धुंआधारा निवासी पंडित रमेश चंद्र लोहुमी ने बताया कि इस बार शुक्ल पक्ष अष्टमी से होलाष्टक प्रारंभ हो रहा है। 14 मार्च को एकादशी तिथि भद्रा होने के कारण रंग धारण व चीर बंधन 13 मार्च को सुबह दस बजकर 22 मिनट से सूर्यास्त तक किया जा सकता है। बताया कि इसमें भी सुबह 12 बजकर तीन मिनट से 12 बजकर 51 मिनट का समय अभिजीत मुहूर्त है। उन्होंने बताया कि आंवला एकादशी व्रत व आंवला पूजन 14 मार्च होगा। 17 मार्च को सायंकाल से आधी रात तक का समय भद्रा दोष से युक्त होने के कारण नियमानुसार 17 मार्च को रात नौ बजकर चार मिनट से 10 बजकर 14 मिनट के बीच होलिकादहन किया जाएगा।
पहाड़ की होली में शास्त्रीय संगीत का गहरा नाता
संगीताचार्य डा. पंकज उप्रेती ने कहा कि कुमाऊं की होली के काव्य स्वरूप को देखने से पता चलता है कि कितने विस्तृत भावन इन रचनाओं में भरे हैं। इसी प्रकार इसका संगीत पक्ष भी शास्त्रीय और गहरा है। पौष के प्रथम रविवार से होली गायन की यहां जो परम्परा बन चुकी है, उसकी नींव बहुत सुदृढ़ है। पहाड़ का प्रत्येक कृषक आशु कवि है, गीत के ताजा बोल गाना और फिर उसे विस्मृत कर देना सामान्य बात थी। इसीलिए होली गीतों के रचियताओं का पता नहीं है।
कतिपय विद्वानों के बारे में पता चलता है कि इन्होंने रचनाएं रचीं हैं। इनमें सबसे प्रथम तो पं.लोकरत्न पत्न ‘गुमानी’ का नाम है। इनकी एक रचना जो राग श्यामकल्याण के नाम से अधिकांश सुनाई देती है। पहाड़ों में शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार में इस होली परम्परा का बहुत बड़ा योगदान है। निर्जन और अति दुर्गम क्षेत्रों तक में रागों के नाम लेकर उसके गायन समय पर आम जन का सजग होना इस बात को सिद्ध करता है।