यूक्रेन में फंसे भारतीय ने निभाया पड़ोसी धर्म, पाकिस्तानी छात्रा की ऐसे की सुरक्षा
दो पड़ोसी देश यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच फंसे भारतीय छात्रों की कई दर्दनाक कहानियां सामने आईं। भारत लौटने में सफल हुए और यूक्रेन में सीमाओं और बंकर में फंसे हुए छात्र अपनी दास्तां डरते हुए साझा कर रहे हैं। इसी बीच दुनिया के दो और पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान की एक कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है। इस किस्से में भारत के अंकित और पाकिस्तान की छात्रा मारिया का नाम शामिल है। यहां अंकित ने मारिया को भारी गोलीबारी और बमबारी के बीच सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया। हालांकि, दोनों छात्र अब भी वतन वापसी की राह देख रहे हैं।
हरियाणा के रहने वाले अंकित कीव पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में यूक्रेन भाषा के छात्र हैं। अंकित के मुताबिक 25 फरवरी को देर रात 2.30 बजे इंस्टीट्यूट से कुछ दूरी पर धमाका हुआ, जिसके बाद करीब 80 छात्रों को बंकर में पहुंचाया गया। उन्होंने बताया कि इनमें वे अकेले ही भारतीय छात्र थे और इस समूह में पाकिस्तान की मारिया भी थीं। खुद भी मुश्किल में फंसे हुए अंकित ने डरी हुई मारिया के घरवालों से संपर्क किया और सुरक्षा का वादा किया।
अंकित ने बताया कि लगातार हो रहे धमाकों के चलते जब वे वहां से जाने लगे, तो मारिया ने भी साथ चलने की बात कही। उन्होंने बताया कि वे दोनों 28 फरवरी को कीव के बुगजाला रेलवे स्टेशन की ओर निकल पडे़। दोनों छात्र पैदल ही सफर तय कर रहे थे, उन्होंने दो दिनों से खाना नहीं खाया था। इस दौरान मारिया की हालत ज्यादा गंभीर नजर आ रही थी, जिसे देखते हुए अंकित ने उनका सामना उठाया और गोलीबारी के बीच 5 किमी दूर स्टेशन पहुंचे।
उन्होंने स्टेशन का हाल बताते हुए कहा कि वहां बहुत भीड़ थी और वे 3 ट्रेनें मिस कर गए थे। इसके बाद शाम 6 बजे वे दोनों किसी तरह ट्रेन में चढ़े। अंकित ने बताया कि एक घंटे बाद ही ट्रैक के किनारे पर धमाका हुआ और गोलीबारी शुरू हो गई। इतना ही नहीं एक गोली खिड़की से निकल उनके सिर से होती हुई गुज़र गई।
आखिरकार दोनों ने 1 मार्च तक टर्नोपिल स्टेशन पहुंचने में सफलता हासिल की। यहां मारिया ने पाकिस्तानी दूतावास से बात की और अधिकारियों की मदद से दोनों को मेडिकल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रखा गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्हें कॉफी, ब्रेड और सूप मुहैया कराए गए।
रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरी घटना पर पाकिस्तान दूतावास ने अंकित की तारीफ की। दूतावास ने लिखा कि एक भारतीय लड़का हमारी बेटी को बचाकर लाया और हमारा बच्चा बन गया। दूतावास ने कहा कि बेटा! आपका बेहद शुक्रिया। साथ ही यह भी कहा कि यह समय दोनों देशों के लोगों के लिए एक-दूसरे की टांग खींचने का नहीं है, बल्कि, प्यार और समर्थन दिखाने का है।
अंकित ने बताया कि वे रोमानिया बॉर्डर पर हैं और कैंप में एंट्री पाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि यहां तापमान माइनस में और उन्हें बहुत तेज बुखार है और शरीर दर्द कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी दूतावास ने उन्हें टर्नोपिल से रोमानिया बॉर्डर तक बस से भेजा, लेकिन बस ने उन्हें 15-20 किमी पहले ही उतार दिया था। यहां से पैदल ही उन्होंने सीमा तक का रास्ता तय किया।