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सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर पहले भी हो चुका है हादसे का शिकार, आईं थी मामूली चोटें

 

बुधवार सुबह तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना का MI17V5 विमान हादसे का शिकार हो गया। इस विमान में देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई। जबकि इस हादसे में इकलौते सर्वाइवर रहे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का इलाज चल रहा है। इस बात की जानकारी Indian Air Force ने अपने ट्वीट के जरिए दी है। बता दें कि इससे पहले भी सीडीएस बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुका है।

यह घटना साल 2015 की है। उस वक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नहीं बने थे। तब बिपिन रावत लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात थ। बिपिन रावत उत्तर पूर्वी राज्य नगालैंड के दिमापुर जिले में स्थित सेना की 3-कोर के हेडक्वार्टर के प्रमुख थे। 3 फरवरी 2015 को बिपिन रावत समेत समेत तीन अधिकारी दिमापुर से सेना के चीता हेलिकॉप्टर में सवार होकर निकले थे। हेलिकॉप्टर के कुछ ऊंचाई पर पहुंचते ही नियंत्रण खो गया, जिससे चॉपर क्रैश हो गया। बताया जाता है कि हेलिकॉप्टर क्रैश होने की वजह इंजन फेल होना था। इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत और बाकी आधिकारियों को मामूली चोटें आई थी।

2015 में हुई घटना के दौरान सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि हेलिकॉप्टर जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई तक ही पहुंचा था कि चॉपर के इंजन में कुछ गड़बड़ी आ गई। जिसके चलते दोनों पायलटों का कंट्रोल छूट गया, राहत की बात यह थी कि इस हादसे में किसी की भी जान जाने की सूचना नहीं थी। वहीं, इस घटना के बाद वायुसेना ने उच्चस्तरीय जांच बिठाई थी।

आपको बता दें कि बिपिन रावत को साल 2016 में सीडीएस के पद पर नियुक्त किया गया था। रिटायरमेंट के एक दिन पहले जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया गया। इससे पहले देश में सीडीएस जैसा कोई पद सेना में नहीं हुआ करता था।

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