पीएम मोदी ने किया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन, कहा- पिछले मुख्यमंत्रियों के लिए विकास उनके घर तक सीमित था
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के रूप में प्रदेश की जनता को नायाब तोहफादिया। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर सुपर हरक्युलिस सी-130 जे विमान से उतरे। उन्होंने एक्सप्रेस का लोकार्पण करने के बाद एक जनसभा को भी संबोधित किया। इस दौरान उनका स्वागत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी ने किया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे जिन किसान भाई-बहनों की भूमि इसमें लगी है, जिन श्रमिकों का पसीना इसमें लगा है, जिन इंजीनियरों का कौशल इसमें लगा है, उनका भी मैं बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
उन्होंने कहा कि गरीबों को पक्के घर मिलें, गरीबों के घर में शौचालय हों, महिलाओं को खुले में शौच के लिए बाहर ना जाना पड़े, सबके घर में बिजली हो, ऐसे कितने ही काम थे, जो यहां किए जाने जरूरी थे। लेकिन मुझे बहुत पीड़ा है, कि तब यूपी में जो सरकार थी, उसने मेरा साथ नहीं दिया। मुझे मालूम था कि जिस तरह तब की सरकार ने यूपी के लोगों के साथ नाइंसाफी की जा रही है, विकास में भेदभाव किया जा रहा है, जिस तरह सिर्फ अपने परिवार का हित साधा जा रहा है, यूपी के लोग ऐसा करने वाली सरकार को हमेशा-हमेशा के लिए यूपी के विकास के रास्ते से हटा देंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि कौन भूल सकता है कि पहले यूपी में पहले कितनी बिजली कटौती होती थी। कौन भूल सकता है कि यूपी में कानून व्यवस्था की क्या हालत थी। कौन भूल सकता है कि यूपी में मेडिकल सुविधाओं की क्या स्थिति थी। यूपी में तो हालात ऐसे बना दिये थे कि यहाँ सड़कों पर राह नहीं होती थी, राहजनी होती थी। ये भी एक सच्चाई थी कि यूपी जैसा विशाल प्रदेश, पहले एक दूसरे से काफी हद तक कटा हुआ था। अलग अलग हिस्सों में लोग जाते तो थे लेकिन एक दूसरे से कनेक्टिविटी ना होने की वजह से परेशान रहते थे। पूरब के लोगों के लिए लखनऊ पहुँचना भी महाभारत जीतने जैसा होता था। पिछले मुख्यमंत्रियों के लिए विकास वहीं तक सीमित था जहां उनका घर था। लेकिन आज जितनी पश्चिम की पूछ है, उतनी ही पूर्वांचल के लिए भी प्राथमिकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे आज यूपी की इस खाई को पाट रहा है, यूपी को आपस में जोड़ रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि परिणाम ये हुआ कि ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में यहां लगे अनेक कारखानों में ताले लग गए। इन परिस्थितियों में ये भी दुर्भाग्य रहा कि दिल्ली और लखनऊ, दोनों ही स्थानों पर परिवारवादियों का ही दबदबा रहा। सालों-साल तक परिवारवादियों की यही पार्टनरशिप, यूपी की आकांक्षाओं को कुचलती रही। एक व्यक्ति घर भी बनाता है तो पहले रास्तों की चिंता करता है, मिट्टी की जांच करता है, दूसरे पहलुओं पर विचार करता है। लेकिन यूपी में हमने लंबा दौर, ऐसी सरकारों का देखा है जिन्होंने कनेक्टिविटी की चिंता किए बिना ही औद्योगीकरण के सपने दिखाए।