यूपी की इकनामी का ग्रोथ इंजन साबित हो रहा एमएसएमई सेक्टर, जीएसडीपी में 19.6 प्रतिशत का इजाफा
लखनऊ। प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने तथा लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को मुहैया कराए गए ऋण और कोरोना संकट के दौरान छोटे -बड़े उद्योगों को कारोबार करने की दी गई छूट का का असर अब दिखाई देने लगा है। राज्य नियोजन संस्थान के अर्थ एवं संख्या प्रभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम त्रैमास (अप्रैल से जून 2021) तक प्रदेश की आर्थिक प्रगति बेहतर रही है। इसके आधार पर प्रदेश के सकल राज्य उत्पाद (जीएसडीपी) में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान वर्ष 2011-12 के स्थिर भावों पर आधारित है। इसके आधार पर आर्थिक विशेषज्ञों का दावा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देश में बीते अप्रैल से जून के बीच में कृषि, पशुपालन, मछली पालन, खनन, वाटर सप्लाई, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट, सर्विस सेक्टर और निर्माण के क्षेत्र में इजाफा हुआ है। उक्त क्षेत्रों में हो रहे कार्य के चलते ही आर्थिक विशेषज्ञों ने वर्ष 2021-22 में यूपी की जीएसडीपी (मौजूदा कीमतों पर) 4,05,835 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगाया है।
आर्थिक विशेषज्ञों के इस आकलन से प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना भी सहमत हैं। सुरेश खन्ना कहते हैं कि कोरोना से बचाव व इलाज के बीच चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश की आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों में अपेक्षा से अधिक सुधार नजर आ रहा है। जिसके चलते ही इस वर्ष वित्तीय वर्ष में अक्तूबर तक प्रदेश सरकार के खजाने में पिछले साल की तुलना में 22,109 करोड़ रुपये ज्यादा पहुंच चुके हैं। यही स्थिति रही तो वित्तीय वर्ष के बचे पांच महीनों में आर्थिक व कारोबारी गतिविधियों में बड़े उछाल की उम्मीद की जा रही है। अर्थ एवं संख्या प्रभाग के आर्थिक विशेषज्ञ भी अपने आकलन के आधार पर यही बात कह रहे हैं। इन विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसडीपी के लिए उत्तर प्रदेश का अनुमान वित्तीय वर्ष 2021 -22 (अप्रैल से जून 2021) की पहली तिमाही में 19.6% की वृद्धि दर्शाता है। ऐसे में अब 2021-22 की पहली तिमाही में जीएसडीपी (स्थिर कीमतों पर) वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसी अवधि में 1,92,896.17 करोड़ रुपए की तुलना में 2,30,673.02 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। 2019-2020 की पहली तिमाही में जीएसडीपी 2,57,639.79 करोड़ रुपए थी। इस आधार पर आर्थिक विशेषज्ञ यूपी की जीएसडीपी (मौजूदा कीमतों पर) 2021-22 में 4,05,835 करोड़ रुपए होने का अनुमान लगा रहे हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश की जीएसडीपी में 19.6% की अनुमानित वृद्धि यह दर्शाती है कि राज्य में कोविड प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और जल्दी ही तेजी से सुधार होता दिखाई देने लगेगा।
प्रदेश की इकनामी में सुधार होने की वजहों को लेकर इन आर्थिक विशेषज्ञ कई तर्क देते हैं। अर्थ एवं संख्या प्रभाग के विशेषज्ञों के अनुसार बीते साल कोरोना संकट के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी। लॉकडाउन हटाए जाने के बाद धीरे -धीरे आर्थिक गतिविधियों को शुरु किया गया। उस दरमियान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए छोटे कारोबारियों से लेकर बड़े उद्योगपतियों से सीधे वार्ता की। निर्यात कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की रियायतें देने का ऐलान किया। आईटी तथा लाजिस्टिक सेक्टर में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित किया गया। तो छोटे कारोबारियों को कारोबार को शुरू करने के लिए बैंकों से लोन दिलाने की व्यवस्था की गई। पटरी दुकानदरों को भी लोन दिलाने का भी इंतजाम किया गया। एमएसएमई सेक्टर को अभियान चलाकर ऋण मुहैया कराया गया। इस सेक्टर को दो लाख करोड़ रुपए से अधिक का ऋण मुहैया कराया गया। इससे इस सेक्टर में दो करोड़ लोग रोजगार पाए और अब ये (एमएसएमई) सेक्टर यूपी की इकनामी का ग्रोथ इंजन साबित हो रहा है। इसके अलावा ग्रामीणों क्षेत्रों में मछली पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन तथा डेयरी कारोबार को बढ़ावा देने संबंधी योजनाओं से युवाओं को जोड़ने का कार्य किया। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का बेहतर असर दिखा।
अर्थ एवं संख्या प्रभाग के विशेषज्ञों के अनुसार बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 के त्रैमास अप्रैल से जून 2021 में फसलों के मूल्यवर्धन में 11819.03 करोड़ रुपए अनुमानित किया गया, जो कि बीते वर्ष से 3.1 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार फिशिंग और एक्वाकल्चर सेक्टर में 933.26 करोड़ रुपए के मूल्यवर्धन का अनुमान लगाया गया है जो कि बीते वर्ष से 25.3 प्रतिशत अधिक है। खनन और उत्खनन क्षेत्र में 5304.25 करोड़ रुपए के मूल्यवर्धन का अनुमान लगाया गया है जो कि बीते वर्ष से 10.6 प्रतिशत अधिक है। कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में 27014.57 करोड़ रुपए के मूल्यवर्धन का अनुमान लगाया गया है जो बीते वर्ष से 68.3 प्रतिशत अधिक है। इसी प्रकार इसी तरह से पशुपालन, वाटर सप्लाई, मैन्यूफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्ट और सर्विस सेक्टर के कामकाज में इजाफा होने का अनुमान विशेषज्ञों ने लगाया है। आर्थिक विशेषज्ञों कहना है कि बीते वर्ष कोरोना संकट से निपटने के बाद तथा इस वर्ष कोरोना महामारी का सामना करते हुए जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीवन तथा जीविका को बचाने के लिए जो कदम उठाये, उसके चलते राज्य में आर्थिक गतिविधियां चलती रही हैं। राज्य में खेती किसानी के लेकर औद्योगिक उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते राज्य में बीते एक वर्ष के दौरान यूपी का निर्यात कारोबार लगातार बढ़ा है, वही महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु सरीखे राज्यों का निर्यात कारोबार घट गया है। जबकि कोरोना महामारी के बीच उत्तर प्रदेश से चावल, गेहूं, दाल, चीनी, डेयरी उत्पाद तथा अन्य खाद्य पदार्थ और कालीन तथा चमड़े से बने सामान आदि का निर्यात बीते साल के मुकाबले बढ़ा गया।
शेयर बाजार में भी उत्तर प्रदेश अब एक बड़ी ताकत बन गया है। यूपी के निवेशक शेयर बाजार में अप्रत्याशित प्रदर्शन कर रहे हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में यूपी के 50 लाख से अधिक निवेशक कारोबार कर रहे हैं। और देश के शेयर बाजार में उत्तर प्रदेश तीसरी ताकत बन गया है। योगी सरकार के शासन में यह नया बदलाव हुआ है। अब महाराष्ट्र और गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है। यूपी के 52.3 लाख इंवेस्टर अकाउंट शेयर बाजार में दर्ज हैं। बीते दो वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में यूपी से संबंधित निवेशक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) से जुड़े हैं। बीएसई के अधिकारियों के अनुसार बीते 31 मई तक देश में कुल 6.9 करोड़ डीमेट खाते थे। जिसमें से 25 फीसदी खाते महाराष्ट्र से जबकि 85.9 खाते गुजरात से हैं। गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश से 52.3 लाख , तमिलनाडु 42.3 लाख और कर्नाटक से 42.2 लाख का नंबर है। इसके अलावा बंगाल से 39.5 लाख, दिल्ली से 37.3 लाख, आंध्र प्रदेश से 36 लाख, राजस्थान से 34.6 लाख, मध्य प्रदेश से 25.7 लाख, हरियाणा से 21.2 लाख, तेलंगन से 20.7 लाख, केरल से 19.4 लाख, पंजाब से 15.2 लाख और बिहार से 16.5 लाख डीमैट खाते हैं। साढ़े चार वर्ष पूर्व यह स्थिति नहीं थी। तब शेयर बाजार में यूपी के लोगों की सक्रियता ना के बराबर थी,क्योंकि कारोबारी सक्रियता राज्य में कम थी। वर्ष 2017 में सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को विकास की ओर तेजी से उन्मुख किया। उसके बाद से उत्तर प्रदेश अब तेजी से विकास के पथ पर दौड़ रहा है।
अर्थ एवं संख्या विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, आज उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश बन गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी तेजी से छलांग लगाते हुए उत्तर प्रदेश आज दूसरे पायदान पर पहुंच चुका है। अब उत्तर प्रदेश एक ट्रिलियन इकोनॉमी वाला प्रदेश बनने की ओर अग्रसर है। सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में भी काफी इजाफा हुआ है। उत्तर प्रदेश निवेशकों का सबसे पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गया है। कोरोना के बावजूद भारी मात्रा में यूपी में निवेश हुआ है। प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर राज्य की अर्थव्यस्था को तेजी प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहा है, इस सेक्टर द्वारा लिया गया ऋण इसका सबूत है। प्रधानमंत्री मुद्रा लोन के आंकड़े भी इस सेक्टर में ही सबसे अधिक लिया गया हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशन में उत्तर प्रदेश आर्थिक क्षेत्र में भी तेजी से अपनी गतिविधियों को जारी रखे हुए है, जिसके आधार पर ही प्रदेश के राज्य सकल उत्पाद में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान अर्थ एवं संख्या प्रभाग ने लगाया है।