पेंडोरा लीक: सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी और जैकी श्रॉफ समेत 500 भारतीयों के नाम आए सामने, 1.19 करोड़ फाइलों ने खोला राज
नई दिल्ली: भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, नीरव मोदी, किरण मजूमदार शॉ, यह पेंडोरा पेपर्स में आए करीब 500 भारतीयों में से कुछ चर्चित नाम हैं। विदेश में जमा किए गए धन का खुलासा करने वाले इन दस्तावेजों के मुताबिक, दुनियाभर के अमीरों ने लाखों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों और कंपनियों में यह पैसा जमा किया। इंटरनेशनल कंसॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में इन भारतीय हस्तियों की ओर से विदेशी खातों और कंपनियों में जमा राशियों और संपत्तियों का यह खुलासा किया गया है-
3 टेराबाइट का कुल डाटा…1.19 करोड़ फाइलें और 7,50,000 तस्वीरें खुलासे में शामिल
-1970 तक के दस्तावेज शामिल, अधिकतर 1996 से 2020 के
-91 देशों के 330 राजनेताओं के नाम सामने आए, इनमें 35 नेता अपने देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे या अब भी हैं
-130 अरबपति भी इस सूची में शामिल हैं
क्रिकेट मेगास्टार भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, उनकी पत्नी अंजलि और ससुर आनंद मेहता के नाम आए हैं। 2016 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड स्थित कंपनी बेचकर रकम विदेश में जमा कराने का दावा किया गया है। हालांकि तेंदुलकर के वकील ने इस बिक्री को कानूनन वैध बताया है।
अनिल अंबानी : 9,965 करोड़ की 18 कंपनियां
9,965 करोड़ रुपये मूल्य की विदेश में काम करने वाली 18 कंपनियों का जाल बिछाया। वैसे अनिल अंबानी ने पिछले वर्ष लंदन के एक बैंक में बताया था कि उनकी नेटवर्थ शून्य है, बल्कि चीनी सरकार के तीन बैंकों का पैसा भी उन पर बकाया है।
जैकी श्रॉफ : ट्रस्ट बनाया वर्जिन आईलैंड में कंपनी
न्यूजीलैंड में अपनी सास क्लॉडिया दत्ता द्वारा बनाए ट्रस्ट से सबसे ज्यादा फायदा जैकी श्रॉफ को मिला। ट्रस्ट का स्विस बैंक में खाता है तो वर्जिन आईलैंड में ऑफशोर कंपनी भी। जैकी ने भी इसमें पैसा डाला। बेटे जय और बेटी कृष्णा को फायदा मिला।
क्या, क्यों कैसे?
मौजूदा खुलासा कितना बड़ा है, यह साफ नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसे 320 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक का मान रहे हैं।
आईसीआईजे के अनुसार, पूरी दुनिया के हजारों अमीर लोगों ने ऑफशोर (विदेश में) फर्म्स और ट्रस्ट का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी की और अपने पैसे व संपत्ति छिपाई।
उदाहरण के लिए एक व्यक्ति भारत में कोई संपत्ति खरीद का उसका मालिक तो बना, लेकिन खरीद उसने इन कई कंपनियों से की, जिससे उसका नाम सामने नहीं आया।
यह कंपनियां टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में बेस्ड हैं, जहां विशेष नियम हैं।
सामान्यत: ऑफशोर ट्रस्ट्स को भारत में मान्यता दी जाती है, लेकिन इनमें भागीदारी किस इरादे से हो रही है, यह मायने रखता है। इसलिए भागीदारी के दौरान काफी गोपनीयता रखी गई, जो लीक में सामने आई।