उत्तर प्रदेश में संस्कृत से सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या ढ़ाई गुना बढ़ी
लखनऊ। यूपी संस्कृत संस्थान से जुड़ कर देश-विदेश के छात्र सिर्फ संस्कृत बोलना ही नहीं सीख रहे हैं बल्कि संस्कृत से सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। संस्कृत के क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल संस्कृत से सिविल सेवा की निशुल्क तैयारी के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा पांच सौ से अधिक छात्रों ने दी है। संस्थान के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा छात्रों की संख्या ढ़ाई गुना तक बढ़ गई है।
संस्कृत को बढ़ावा देने की मुहिम रंग ला रही है। यूपी संस्कृत संस्थान की ऑनलाइन संस्कृत कक्षाओं में छात्रों की संख्या 60 हजार तक पहुंच गई है। वहीं, संस्कृत विषय चुन कर आईएएस बनने का ख्वाब देखने वाले छात्रों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है। यूपी संस्कृत संस्थान की ओर से संस्कृत विषय में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराई जाती है। इसके लिए संस्थान की ओर से नि:शुल्क कोचिंग का संचालन किया जाता है। छात्रों का चयन दो चरणों में आयोजित किया जाता है। पहले चरण में प्रवेश परीक्षा का आयोजन होता है। फिर मेरिट बनाकर छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। इसमें से 60 छात्रों का चयन किया जाता है जबकि यूपीएससी प्री पास करने वाले 10 से 15 छात्रों का चयन अलग से किया जाता है। संस्थान की ओर से कुल 75 छात्रों का चयन किया जाता है, जिनको संस्कृत के विद्वान सिविल सेवा की तैयारी कराते हैं।
यूपी के साथ दूसरे राज्य के छात्र भी करते हैं तैयारी
यूपी संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष प्रो वचस्पति मिश्र के अनुसार संस्कृत से सिविल सेवा की तैयारी करने वालों में यूपी के अलावा दूसरे राज्यों इनमें केरल, राजस्थान, हरियाणा, बंगाल, दिल्ली, आंध्रप्रदेश और पंजाब के छात्र-छात्राएं भी तैयारी के लिए आ रहे हैं। एक नवम्बर से शुरू होने वाले तीसरे सत्र की कक्षाओं के लिये इस बार 946 लोगों ने पञ्जीकरण कराया और 500 से अधिक लोग प्रवेश परीक्षा में भी बैठे है । पिछले सत्रों के मुकाबले इस बार लगभग ढाई गुना संख्या बढी है ।
सरकार की पहल सराहनीय
पिछले दो सत्रों में संस्कृत भाषा से सिविल सेवा परीक्षा पास कर उद्योग विभाग में असिस्टेन्ट कमिश्नर बनी अल्का वर्मा कहती है कि सरकार की यह पहल वास्तव में सराहनीय है । योगी सरकार ने मध्यमवर्गीय छात्रों का हौसला बढाया है । खासतौर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के प्रवक्ताओं द्वारा पढाया जाना बहुत ही लाभदायक है । वर्तमान में खंड शिक्षा अधिकारी पद पर कार्यरत प्रशांत सिंह राठौर बताते है कि संस्कृत से सिविल सेवा की तैयारी के साथ हमें संस्कृति और संस्कारों का भी ज्ञान मिलता है। संस्कृत सिविल सेवा कोचिंग का लाभ पाकर डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष सिंह का कहना है कि संस्कृत की प्रतियोगी परीक्षाओं में लोग दिखते नहीं थे वहीं वर्तमान मे हर परीक्षा में संस्कृत का बोलबाला है ।