उत्तराखंड में युवा जोश और 60 प्लस नारे के बीच भाजपा के लिए पैदा हुईं 2022 की उम्मीदें
देहरादून: प्रदेश में पहले त्रिवेंद्र और फिर तीरथ की विदाई के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती नए चेहरे की रही। चूंकि अगला चुनाव भी सिर पर है और दो सीएम बदलने के बाद पार्टी की फजीहत भी हो रही थी। इस बीच पार्टी ने युवा चेहरे को तवज्जो दी और 30 दिन के भीतर पुष्कर सिंह धामी ने यह भी साबित करने की कोशिश कि वह नाइट वॉचमैन की पारी खेलने नहीं आए हैं। बल्कि उनके भीतर प्रदेश और पार्टी के लिए कुछ करने का माद्दा है।
भाजपा का युवा चेहरे के दम पर अगले विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला 30 दिन में काफी सही राह पर नजर आ रहा है। जब पुष्कर सिंह धामी की ताजपोशी हुई तो यह माना जा रहा था कि वह केवल एक नाइट वॉचमैन की तरह काम करेंगे, लेकिन 30 दिन में उन्होंने जो किया है, वह वाकई अलग है। उन्होंने एक युवा मुख्यमंत्री के तौर पर खुद को साबित करने के साथ ही युवाओं के बीच अपनी पकड़ बनाई है। उन्होंने साबित कर दिया है कि वह भीड़ का हिस्सा नहीं हैं। पार्टी ने भी अब युवा चेहरा, 60 प्लस का नारा देकर आगामी विस चुनाव के लिए एक उम्मीद खड़ी कर दी है।
पार्टी इन दिनों चुनावी मोड में है। इस बीच जनता की समस्याओं को लेकर सीएम धामी पूरे सतर्क हैं। सरकार को जनता के करीब लाने के लिए सभी जिला व तहसील मुख्यालयों में अधिकारियों को रोजाना दो घंटे जनता के लिए देने के आदेश उनकी सोच को सामने लाता है। युवाओं से जुड़े मुद्दे हों या भर्तियां, सीएम धामी सभी पहलुओं पर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। सत्ता की कमान हाथों में आने के वक्त 45 साल के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही था कि क्या वे नौकरशाही की लगाम कस पाएंगे? एक महीने के कार्यकाल में जिस अंदाज में धामी ने अफसरशाही को ताश की पत्तों की तरह फेंटा है, उसने साफ कर दिया है कि कुछ हद तक वह अफसरशाही पर लगाम कसते दिखाई दे रहे हैं।