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यूपी के 53 जिलों में कोरोना का एक भी नया केस नहीं, 22 में 10 से कम

● समन्वित प्रयासों से प्रदेश के 11 जिलों में आज कोरोना के एक भी एक्टिव केस नहीं है। वर्तमान में प्रदेश में एक्टिव कोविड केस की संख्या 857 रह गई है। ऐसी स्थिति कोरोना के शुरुआती दिनों (18 अप्रैल 2020) में थी। प्रदेश में हर दिन ढाई लाख से तीन लाख टेस्ट हो रहें हैं, जबकि पॉजिटिविटी दर 0.01 फीसदी तक आ गई है। जनपद अलीगढ़, बदायूं, बस्ती, बहराइच एटा, फतेहपुर, हमीरपुर, हाथरस, कसगंज, महोबा और श्रावस्ती में अब कोविड का एक भी मरीज शेष नहीं है। यह जनपद आज कोविड संक्रमण से मुक्त हैं। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक कोविड टेस्टिंग करने वाला राज्य है। अब तक यहां 06 करोड़ 42 लाख 77 हजार 972 कोविड सैम्पल की जांच की जा चुकी है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर पर प्रभावी नियंत्रण बना हुआ है। ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के अनुरूप सभी जरूरी प्रयास सतत जारी रखे जाएं।

● विगत दिवस किसी भी जिले में दोहरे अंक में नए केस की पुष्टि नहीं हुई। 53 जिलों में संक्रमण का एक भी नया केस नहीं पाया गया, जबकि 22 जनपदों में इकाई अंक में मरीज पाए गए। यह स्थिति बताती है कि प्रदेश में हर नए दिन के साथ कोविड महामारी पर नियंत्रण की स्थिति और बेहतर होती जा रही है। ट्रेसिंग, टेस्टिंग और त्वरित ट्रीटमेंट के मंत्र से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। विगत 24 घंटे में 02 लाख 27 हजार 740 कोविड सैम्पल की जांच की गई और 33 नए मरीजों की पुष्टि हुई, जबकि 64 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। इस अवधि में पॉजिटिविटी दर 0.01% रही। कुल 515 लोग होम आइसोलेशन में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। प्रदेश में कोरोना की रिकवरी दर 98.6% है। अब तक 16 लाख 85 हजार से अधिक प्रदेशवासी कोरोना संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं।

● कोविड की तीसरी लहर की आशंका देखते हुए सभी जरूरी प्रयास यथाशीघ्र पूरी की जाए। बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से पीकू/नीकू की स्थापना की कार्यवाही तेज हो। अब तक केवल मेडिकल कॉलेजों में पीडियाट्रिक आईसीयू/आइसोलेशन बेड की संख्या 6522 से अधिक हो गई है। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में करीब 3000 पीडियाट्रिक आईसीयू/आइसोलेशन तैयार हो गए हैं। सभी ज़िलों में इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

● प्रदेश में कोविड टीकाकरण का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है।अब तक उत्तर प्रदेश में 04 करोड़ 44 लाख 13 हजार से अधिक कोविड वैक्सीन लगाए जा चुके हैं। इसमें, केवल जुलाई माह में एक करोड़ 32 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगाई गई है। प्रदेश के 03 करोड़ 72 लाख से अधिक लोगों ने कम से कम कोविड की एक खुराक ले ली है। यह किसी एक राज्य द्वारा किया गया सर्वाधिक वैक्सीनेशन है। कोविड वैक्सीनेशन को और तेज करने की आवश्यकता है। टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाए।

● प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयासों के क्रम में सीएचसी/पीएचसी स्तर पर “हेल्थ एटीएम” की स्थापना कराई जाए। विभिन्न औद्योगिक समूहों/सामाजिक संस्थाओं ने ‘हेल्थ एटीएम’ उपलब्ध कराने की इच्छा जताई है। ऐसे सभी लोगों से संपर्क कर सहयोग प्राप्त किया जाए। इसे नजदीकी जिला अस्पताल की टेलीकन्सल्टेशन सेवा से भी जोड़ा जाए। हेल्थ एटीएम के सुचारू संचालन के लिए पैरामेडिक्स का प्रशिक्षण कर तैनाती की जाए।

● प्रदेश के नौ जनपदों में अतिशीघ्र मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण होने जा रहा है। इन मेडिकल कॉलेजों की प्रयोगशाला, पुस्तकालय, शिक्षक, सहायक कार्मिक, उपकरण आदि के संबंध में अवशेष कार्यों को तेजी के साथ पूरा किया जाए। सभी नौ मेडिकल कॉलेजों के लिए एक-एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर कार्यों की दैनिक समीक्षा की जाए।

● अयोध्या के समग्र विकास के कार्यों की गति तेज करने की आवश्यकता है। प्राथमिकता के आधार तय चरणबद्ध ढंग से कार्यों की पूरा कराया जाए। अंतर्विभागीय समन्वय बनाया जाए। भूमि संबंधी प्रकरणों का त्वरित समाधान कराया जाए।

● पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है। इसके अवशेष कार्यों को तेजी से पूरा कराएं।

● जन समस्याओं/शिकायतों/अपेक्षाओं के त्वरित समाधान के लिए तहसील दिवस और थाना दिवस का आयोजन प्रारंभ हो गया है। इसमें प्राप्त होने वाले आवेदन पत्रों का निराकरण कतई लंबित न रखें। जनता की संतुष्टि ही अधिकारियों की कुशलता का मानक है। लोगों के शिकायती पत्रों पर संवेदनशीलता बरतें। आईजीआरएस के प्रकरणों का प्राथमिकता के साथ निस्तारण किया जाए। विभागवार इसकी अद्यतन स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया जाए।

● वरिष्ठ नागरिकों को त्वरित सहायता के लिए संचालित हेल्पलाइन नम्बर 14567 सेवा को और बेहतर किये जाने की जरूरत है। सीएम हेल्पलाइन 1076 के माध्यम से भी हर दिन न्यूनतम 100 वृद्धजनों को फोनकर उनके स्वास्थ्य के संबंध में जानकारी ली जाए, उनकी अन्य जरूरतों के बारे में पूछते हुए उनकी समस्याओं का समाधान कराएं। कैंसर की समस्या से ग्रस्त अथवा डायलिसिस कराने वाले मरीजों के इलाज में कतई देरी न हो। जॉइंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी जिलों में जाएं।

 

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