क्यों मनाई जाती है खिचड़ी, क्या है बाबा गोरखनाथ से इसका संबंध?
हिंदू धर्म के अनुसार मकर संक्रांती को खिचड़ी भी कहा जाता है। इस त्यौहार के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाती है और सारे शुभ कामों की शुरूवात भी हो जाती है। ये हिंदुओं के सभी प्रमुख त्यौहारों में से एक है, लेकिन बहुत कम ऐसे लोग होंगे जो ये जानते होंगे की खिचड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।
खिचड़ी बनाने के पीछे ग्रहों का शांत होना माना जाता है। चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। काली दाल को शनि और सब्जियों को बुध ग्रह का प्रतीक माना जाता है। इस त्यौहार को मनाने से ग्रह शांत हो जाते हैं।
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खिचड़ी मनाने के पीछे का कारण बाबा गोरखनाथ से जुडा है। खिलजी के आक्रमण के समय योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। यही कारण था की योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और भूखे सोते थे।
योगियों की इस हालत के देखकर बाबा गोरखनाथ ने उन्हें खिचड़ी पकाने की सलाह दी। यह भोजन पौष्टिक होने के साथ स्वादिष्ट भी था। योगियों के यह व्यंजन काकी पसंद आया। बाद में बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन को खिचड़ी नाम दिया।