टीबी के अज्ञात मामलों का पता लगाने राष्ट्रव्यापी अभियान
नई दिल्ली, 10 दिसम्बर (आईएएनएस)| पोलियो की तर्ज पर तपेदिक (टीबी) के उन्मूलन के लक्ष्य के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संक्रामक बीमारी के शुरुआती और बेहतर निदान के लिए 15 दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है, जिसमें स्वास्थ्यकर्मी और पर्यवेक्षक घर-घर जाएंगे, और इस बीमारी के बारे में पता लगाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत यह कार्यक्रम तीसरे चरण में है और इसे चार दिसंबर को शुरू किया गया। सरकार ने 2025 तक टीबी को समाप्त करने की योजना बनाई है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने लक्ष्य अवधि को 2030 तक निर्धारित किया है।
एक्टिव केस फाइनडिंग (एसीएफ) नामक इस कार्यक्रम के अंतर्गत एएसएचए के स्वास्थ्यकर्मी और टीबी पर्यवेक्षक देश में मौजूद टीबी के उच्च जोखिम वाले 186 जिलों का दौरा कर रहे हैं।
डब्लूएचओ का अनुमान है कि हर साल भारत में टीबी के 28 लाख नए मामले सामने आते हैं, लेकिन केवल 17 लाख मामले ही स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य अधिकारियों के सामने आते हैं। संसाधनों और जागरूकता की कमी के कारण बाकी मामलों के बारे में पता नहीं चल पाता।
स्वास्थ्य मंत्रालय में उप महानिदेशक (टीबी) सुनील खापर्डे ने आईएएनएस को बताया, इस कार्यक्रम से टीबी के मामलों के निदान को बढ़ावा मिलेगा। वास्तव में, हर साल 10 लाख टीबी के रोगी छूट जाते हैं। इस कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य कर्मचारी घर-घर जाएंगे और पूछेंगे कि वहां कोई टीबी का रोगी है या नहीं। यह केवल उच्च जोखिम वाले 186 जिलों में होगा।
प्रथम दो अभियान 2016 में चलाए गए थे, जिसमें टीबी के 15,000 मामले सामने आए थे और बाद में रोगियों का उपचार किया गया था।
खापर्डे ने कहा, स्वास्थ्य मंत्रालय संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टीबी के मामलों को 2025 तक 90 प्रतिशत तक कम करना और 2030 तक बीमारी के कारण मृत्यु दर को 95 प्रतिशत तक कम कर देना चाहता है।
मंत्रालय निजी अस्पतालों को भी संवेदित कर रहा है, ताकि उनके पास आने वाले रोगी मामलों की सूचना सरकार को दें।
मंत्रालय ने सप्ताह में तीन बार आहार देने के बजाय आरएनटीसीपी के तहत पूरे देश में टीबी के रोगियों को रोजाना आहार देने की योजना शुरू करने की भी घोषणा की है।
यह परिवर्तन इस बीमारी से निपटने के ष्टिकोण और तीव्रता में परिवर्तन लाएगा। इस बीमारी से हर साल 4.2 लाख लोगों की मौत हो जाती है।