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सेहत को पी जाएंगे यह सॉफ्ट ड्रिंक !

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नामी गिरामी सॉफ्ट ड्रिंक की जांच में खतरनाक केमिकल पाए गए हैं. अगर आप सॉफ्ट ड्रिंक पेप्सी, कोका कोला, माउंटेन ड्यू, स्प्राइट या 7अप पीते हैं तो जरा इस खबर पर गौर कीजिए. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से की कराए गए जांच में पेप्सी, कोका कोला, माउंटेन ड्यू, स्प्राइट और 7अप में खतरनाक केमिकल पाए गए हैं. मालूम हो कि 7अप और माउंटेन ड्यू पेप्सिको कंपनी के प्रॉडक्ट हैं वहीं, स्प्राइट कोका कोला कंपनी का प्रॉडक्ट है.

बोतल से कोल्ड ड्रिंक में घुलते हैं ये खतरनाक केमिकल
जांच में पाया गया है कि प्लास्टिक के जिन बोतलों में पेप्सी, कोका कोला और माउंटेन ड्यू पैक किए जाते हैं, वे खतरनाक केमिकल से बने होते हैं. जब भी प्लास्टिक के इन बोतलों को रेफ्रिजरेटर से बाहर रखा जाता है तो इसके खतरनाक केमिकल उसमें रखे कोल्डड्रिंक में घुल जाते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर पक्राशित खबर के मुताबिक भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग तकनीकी सलाहकार बोर्ड ने मिलकर ये अध्ययन कराया था.
स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने पांच अलग-अलग कोल्डड्रिंक के बोतलों को जांच के लिए लिया था, जिसमें भारी तत्व, लेड, क्रोमियम, कैडमियम और डाई पैथलेट पाए गए हैं.
यह जांच कोलकाता के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ की ओर से कराया गया था. यह विभाग भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आता है.
पेप्सिको ने कहा, हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं
इस मामले में पेप्सिको इंडिया के इंडिया प्रवक्ता ने कहा, हमें भारत सरकार के किसी जांच रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्होंनेे कहा कि कंपनी पहले टेस्ट रिपोर्ट और टेस्ट के तरीकों का अध्ययन करेगी फिर अपना पक्ष रखेगी. पेप्सिको ने दावा किया कि उनकी कंपनी के सारे खाद्य पदार्थ पूरी तरह सुरक्षित और मानकों को पूरा करने वाले हैं.
कोका कोला ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल कोई भी बयान देने से मना कर दिया है.
जांच में कितना और क्या मिला खतरनाक तत्व
तत्व————–पेप्सी——————कोक
एंटीमोनी———0.029 mg/L——–0.006 mg/L
लेड—————-0.011 mg/L——–0.009 mg/L
कैडमियम——–0.002 mg/L——–0.011 mg/L
क्रोमियम———0.017 mg/L——–0.026 mg/L
डीईएचपी———0.028 mg/L——–0.026 mg/L
इन खतरनाक केमिकल से हो सकते हैं ये रोग
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लास्टिक की बोतल में बंद सॉफ्ट ड्रिंक में पाए गए खतरनाक केमिकल बच्चों के शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक बच्चों पर लेड का सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है. लेड सीधे बच्चों के दिमाग, सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, जिससे बच्चे कोमा तक में जा सकते हैं. इसके अलावा लगातार ऐसे पदार्थों का इस्तेमाल करने वाले बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है.
इन खतरनाक केमिकल से कैडमियम किडनी, शारीरिक संरचना और श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कैंसर होने तक का भी खतरा होता है.
मालूम हो कि पिछले साल नेस्ले के नूडल्स मैगी में लेड की अत्यधिक मात्रा पाई गई थी, जिसके बाद इसे देश भर में बैन कर दिया गया था. नेस्ले दोबारा से मैगी को लेकर बाजार में आई है.

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